जबलपुर। हाई कोर्ट ने सिविल जज परीक्षा में ओबीसी वर्ग के सभी उम्मीदवारों को एससी-एसटी वर्ग के समान न्यूनतम पात्रता अंक में छूट देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अब सिविल जज की प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षा में भी ओबीसी को अन्य आरक्षित वर्ग के समान छूट मिलेगी। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इस संबंध में हाई कोर्ट प्रशासन को तीन दिन के भीतर अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए।
न्यूनतम पात्रता अंक में छूट
सिविल जज जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर)- 2022 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 18 दिसंबर 2023 है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि सिविल जज भर्ती परीक्षा में ओबीसी वर्ग को अनारक्षित वर्ग के साथ रखा गया था, इससे उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। ओबीसी वर्ग को भी एससी-एसटी वर्ग के समान न्यूनतम पात्रता अंक में छूट मिलनी चाहिए। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अनारक्षित वर्ग को इसमें कोई छूट नहीं दी जाएगी।
ओबीसी उम्मीदवार को भी छूट
उल्लेखनीय है कि ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के नरसिंहपुर जिला अध्यक्ष जगदीश प्रसाद पटैल की पुत्री अधिवक्ता वर्षा पटैल ने एक जनहित याचिका दायर कर सिविल जज भर्ती नियम में किए गए संशोधन की वैधानिकता को चुनौती दी है। संशोधित नियम के तहत सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए सामान्य वर्ग के लिए एलएलबी में न्यूनतम 70 प्रतिशत (बिना एटीकेटी) अंक निर्धारित किए गए हैं। वहीं एससीएसटी के लिए 50 अंक की योग्यता है। अब ओबीसी उम्मीदवार को भी एससीएसटी के समान छूट मिलेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि ओबीसी भी आरक्षित वर्ग है, इसलिए उसे अनारक्षित वर्ग में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने बताया कि संशोधित नियम के तहत जिन उम्मीदवारों के पास तीन साल के वकालत का अनुभव है तो वे केवल एलएलबी उत्तीर्ण होने पर भी सिविल जज की परीक्षा के लिए पात्र होंगे।
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