भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार 28 नवंबर को दो हजार करोड़ रुपये का ऋण लेगी। नौ अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार तीसरी बार कर्ज ले रही है। 23 नवंबर को सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर को दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।
अब 28 नवंबर को दो हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया जाएगा। इस वर्ष अब तक राज्य सरकार 11 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। वहीं राज्य सरकार पर अब तक कुल 3,31,651.07 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका है।
वर्ष वार सरकार पर कर्ज वित्त वर्ष 2022-23 — 23 हजार करोड़ रुपये (24 मार्च 2023 तक) वित्त वर्ष 2023-24 — 11 हजार करोड़ रुपये (31 अक्टूबर 2023 तक)
विकास के लिए कर्ज लेना सतत प्रक्रिया
राज्य के विकास के लिए मध्य प्रदेश सरकार कर्ज लेती आ रही है। यह एक सतत प्रक्रिया है। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं के संचालन के लिए कर्ज लिया जा रहा है। यह कर्ज एक निश्चित समय अवधि में चुका भी दिया जाता है।
वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रति वर्ष रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) द्वारा निर्धारित सीमा तक कर्ज लिया जा सकता है।
राज्य सरकार इस सीमा के अंदर ही बाजार से कर्ज लेती है। इसके अलावा नाबार्ड, वर्ल्ड बैंक और बाजार से भी राज्य सरकार ऋण लेती है। वित्तीय जानकारों के अनुसार मध्य प्रदेश की जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) अच्छी है। राज्य सरकार कुल जीएसडीपी का 3.5 प्रतिशत कर्ज ले सकती है।
वित्त वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय 11,718 रुपये थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर एक लाख 40 हजार 583 रुपये हो गई है। राज्य की जीएसडीपी की वृद्धि दर विगत एक दशक में राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि दर से अधिक रही है।
मई से नवंबर तक इस तरह बढ़ा कर्ज का बोझ
30 मई, 2023– दो हजार करोड़ रुपये
नौ जून, 2023- चार हजार करोड़ रुपये
सात सितंबर, 2023– एक हजार करोड़ रुपये
22 सितंबर, 2023– एक हजार करोड़ रुपये
23 अक्टूबर, 2023 — एक हजार करोड़ रुपये
31 अक्टूबर, 2023– दो हजार करोड़ रुपये
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