इंदौर। भारतीय सनातन संस्कृति में विवाहित महिलाएं अपने माथे पर लाल बिंदिया जरूर लगाती है, लेकिन आजकल आधुनिक फैशन और जानकारी के अभाव में कई महिलाएं माथे पर डिजाइनर बिंदिया लगा लेती हैं या बिंदिया लगाने से भी परहेज करती है। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, शादीशुदा महिलाओं को को मांग में सिंदूर लगाने या मंगलसूत्र पहनने के अलावा लाल रंग की बिंदिया जरूर लगाना चाहिए। यहां जानें इस बारे में विस्तार से।
दोनों भौंह की बीच होता है शक्ति का वास
विवाहित महिलाएं दोनों भौंह की बीच में जिस स्थान पर बिंदिया लगाती है, उस स्थान पर शक्ति का वास होता है। कुंडलिनी योग में इस स्थान को 7वां चक्र स्थान बताया गया है, जिसका नाम ‘मनश्चक्र’ होता है, जो कि ‘सहस्रार चक्र’ से एक स्थान नीचे की ओर होता है। धर्म ग्रंथों में कहीं-कहीं इसे ‘तीसरे नेत्र’ की संज्ञा भी दी गई है।
इसलिए लगाते हैं लाल बिंदिया
‘मनश्चक्र’ को अंतर्ज्ञान और बुद्धि का स्थान माना जाता है। इस स्थान पर यदि लाल रंग की बिंदिया लगाई जाती है तो यह शक्ति को बढ़ाती है। दरअसल बिंदिया शब्द की उत्पत्ति भी संस्कृत के बिंदु शब्द से हुई है। ‘मनश्चक्र’ वहीं बिंदु है, जहां शक्ति का वास होता है। सनातन धर्म में लाल रंग को समृद्धि का भी प्रतीक माना गया है और लाल रंग को उगते सूरज से जोड़कर देखा जाता है। यहीं कारण है कि महिलाओं को लाल रंग की बिंदिया लगाना चाहिए।
बिंदिया का देवी लक्ष्मी से भी है संबंध
लाल रंग की बिंदिया का देवी लक्ष्मी से भी संबंध होता है। लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और हर सुख-दुख में उनका साथ देती है और रक्षा करती है। इसी तरह एक पत्नी भी पति की रक्षा के लिए लाल रंग की बिंदिया लगाती है। ज्योतिष के जानकार पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, नव ग्रहों में शामिल मंगल देव को विवाह का कारक माना गया है। इस कारण से भी विवाहित महिलाएं लाल रंग की ही बिंदिया लगाती है, जो महिलाएं ऐसा नहीं करती है, उनके जीवन में दांपत्य सुख में कमी रहती है और परिवार में कलह होता है।
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