ग्वालियर (नप्र)। जिला अदालत की सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश अजय सिंह ने आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में दोषी पाते हुए मथुरा निवासी मुनीम खान और औरंगाबाद निवासी सतेंद्र जाट को चार-चार वर्ष की जेल की सजा सुनाई है। एक अन्य आरोपित लाल मोहम्मद को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। मामला व्यापमं द्वारा 2012 में करवाई गई आरक्षक भर्ती परीक्षा में छल से अभ्यर्थी के स्थान पर दूसरे व्यक्ति के परीक्षा देने का है। तीन आरोपियों के खिलाफ मामला सीबीआई न्यायालय में लंबित था। 2012 में पुलिस आरक्ष्रक की भर्ती परीक्षा में आरोपी लाल मोहम्मद ने अपने भाई और इस मामले में दोषी मुनीम खान को परीक्षा में पास करवाने के लिए फर्जी तरीके से सतेंद्र जाट को उसकी जगह पर परीक्षा दिलवाने बैठा दिया। परीक्षा का आयोजन मुरार के एक स्कूल में हुआ। इसके बाद जब दस्तावेजों की जांच हुई तो परीक्षा में बैठे अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका और मुनीम खान की हैंड राइटिंग और अंगूठे के निशान आपस में नहीं मिले। जांच में इस गड़बड़ी का पता चला तो आरोपितों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई। इसके बाद फिर मामला न्यायालय में पहुंचा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया।
फर्जी दस्तावेज बनाने वाले युवक को सात साल की जेल
जिला अदालत ने फर्जी तरीके से जमानत भरने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने वाले युवक किला गेट निवासी महेश यादव को सात साल का कारावास और 16 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त लोक अभियोजक जगदीश शाक्यवार ने सुनवाई के दौरान अपने तर्कों से युवक पर लगे आरोपों को सिद्ध करवाया। यहां महेश पर आरोप था कि वह आपराधिक मामलों मे जमानत करवाने के लिए छल से फर्जी दस्तावेज बनवाता है और उनके आधार पर लोगों को कमीशन लेकर जमानत दिलवाता है। बता दें कि महेश पेशे से ड्राइवर है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.