जबलपुर। पार्षदों का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर जैसे-तैसे उनकी अनुशंसा पर सभी 79 वार्डों में 40-40 लाख रुपये की लागत से सड़क, नाली सहित अन्य निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए। वर्षों से बद्हाल सड़कों व नालियों का निर्माण कार्य शुरू हो पाया था तभी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। आचार संहिता के फेर में निर्माण कार्यों के साथ ही पूर्व में स्वीकृत कार्य भी रोक दिए गए। विजय नगर, गढ़ा, धनवंतरि नगर सहित अन्य क्षेत्रों में भी पूर्व स्वीकृत सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई। नजीता ये हुआ कि अधूरी बनी सड़कें, खोदाई कार्य के चलते राहगीरों के लिए मुसीबत खड़ी कर रही हैं। हवा में धूल-मिट्टी के कण राहगीरों की सांसों में घुल रहे हैं। वैसे भी ठंड के सीजन में हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। रविवार को शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी हवा में प्रदूष्ण का स्तर 301 तक पहुंच गया जो स्वास्थ्य के लिए घातक है।
नए निर्माण की शिकायत पर बंद कराए थे सभी कार्य
विदित हो कि पूर्व स्वीकृत कार्यों के साथ ही नए निर्माण कार्य कराए जाने की शिकायत निर्वाचन आयोग तक पहुंची थी। निर्वाचन आयोग ने इसे गंभीरता से लिया था, निगममायुक्त स्वप्निल वानखडे ने इस पर संज्ञान लेते हुए 21 अक्टूबर को अपर आयुक्त सहित लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री सहित सभी सभी संभागीय अधिकारियों को ये कहते हुए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी कि अब कोई भी नए निर्माण कार्य नहीं कराएंगे और अगर निर्देश के बाद भी कार्य कराए जाते है तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उसी दिन निलंबन की कार्रवाई की जाएगी। हुआ ये नए कार्य के साथ ही जो कार्य चल रहे उन्हें भी ठेकेदारों ने अधूरा ही छोड़ दिया। अब जबकि जबलपुर में मतदान हो चुके है ऐसे में पूर्व में स्वीकृत निर्माण कार्यों चालू कराए जा सकते हैं।
40-40 लाख के स्वीकृत हुए थे कार्य
विदित हो कि वार्डों में विकास कार्य कराने के लिए पार्षदों को 40-40 लाख रुपये दिए जाने को लेकर एमआइसी में बजट पारित किया गया था। आचार संहिता के पहले निगमाध्यक्ष ने निगमायुक्त से पार्षद की अनुशंसा पर प्रत्येक वार्ड में 40-40 लाख का फंड देने का आग्रह किया था। जिस पर निगमायुक्त ने अधिकारियों की बैठक ली और प्रत्येक वार्ड में विकास कार्यों के लिए 40-40 लाख देने की सहमति दे दी थी। करीब साल भर के कार्यकाल के बाद वार्डों में सड़क, नाली, पुलिया निर्माण जैसे कार्य शुरू हुए थे।
मोहल्ला, कालोनियों को जोड़ने वाली सड़कों की हालात खराब
– शहर की मुख्य सड़कों की दशा जैस-तैसे तो काफी हद तक सुधर गई है, लेकिन कुछ सड़कें अब भी बाकी है। रसल चौक से नागरथ चौक, जबलपुर अस्पताल से भंवरताल, धनवंतरी नगर, शाहीनाका,विजय नगर क्षेत्र की कुछ सड़कें वर्षा से खराब हो चुकी है, वहीं मोहल्ला कालोनियों को जोड़ने वाली सड़कों को भी पार्षदों ने समय रहते नहीं बनवाया पार्षद मद से जब सड़कों की मरम्मत शुरू कराई तो आचार संहिता के कारण काम रूक गया।
फ्लाई ओवर के नीचे की सड़कों से उठ रहा धूल का गुबार
इसी तरह मदनमहल -दमोहनाका तक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे की सड़काें से धूल के गुबार उड़ रहे हैं। अन्य अधूरे निर्माण कार्य के चलते भी धूल, मिट्टी के कारण वाहन चालक परेशान है।
तीन वर्षों से नहीं हुए काम, बिगड़ गई वार्डों की तस्वीर
– वार्डों में पिछले करीब ढाई वर्षों से विकास व निर्माण कार्य नहीं हुए हैं। पहले कोरोना और फिर फंड की कमी के कारण प्रशासक राज में वार्डों में विकास कार्य कराए ही नहीं गए थे।
– शहर के 79 वार्डों में से ज्यादातर वार्डों की सूरत तक बदल गई है। प्रमुख सड़कें तो बना दी गई पर अधिकांश गली,मोहल्ला, कालोनियों की सड़कें अब भी खराब हैं।
– नगरीय व उपनगरीय क्षेत्रों में गंदे पानी की निकासी के लिए पुल-पुलियों का निर्माण नहीं कराया गया है। कच्चे नाले भी वर्षाकाल में परेशानी का सबब बने रहे। प्रकाश व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई है। कई वार्डों में स्ट्रीट लाइट बंद है और पेयजल का संकट भी है।
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