भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को हुए मतदान में पिछले तीन विधानसभा चुनावों का रिकार्ड टूट गया। 76.22 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी को अपने संकल्प पत्र का आधार बनाया था।
वहीं कांग्रेस ने कई वादों का वचन पत्र जारी किया। मतदाता किससे प्रभावित हुए, यह चुनाव परिणाम से तय होगा लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बढ़े हुए मतदान ने यह तो स्पष्ट कर दिया कि मतदाताओं को पीएम मोदी का भरोसा रास आया है।
ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं ने भी मतदान को लेकर भारी उत्साह दिखाया है। उनके वोटिंग पैटर्न में भी बदलाव देखा गया है, यही बातें नई सरकार के गठन का आधार बनेंगी। मतगणना तीन दिसंबर को होनी है, तब तक सबको इंतजार करना होगा।
मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 111 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव यानी वर्ष 2018 के मुकाबले बढ़ा है। इसके पीछे पीएम मोदी की ग्रामीण क्षेत्रों में सभाओं और सत्ता विरोधी रुझान न होने को बड़ी वजह माना जा रहा है। इसका सीधा लाभ भी भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में छह महीने पहले लागू की गई लाड़ली बहना योजना ने भी मतदान बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। पीएम मोदी की प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ लाड़ली बहनों को जोड़ने का लाभ भी भाजपा को मिलता दिख रहा है।
यह पहला अवसर है जब भाजपा ने मध्य प्रदेश में पीएम मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा है। साथ ही, भाजपा ने इसमें एक और चतुराई की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही घोषित नहीं किया लेकिन उन्हें खारिज भी नहीं किया ताकि शिवराज सिंह चौहान की संभावना भी बनी रहे। भाजपा ने अन्य बड़े चेहरों को लाकर सरकार बनने पर संभावित मुख्यमंत्री की प्रतिस्पर्धा को जरूर बढ़ा दिया।
राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि महिलाओं के वोट प्रतिशत में भले ही कोई ऐतिहासिक बदलाव या वृद्धि न दिख रही हो लेकिन उनके पैटर्न में परिवर्तन देखा गया है। जिस उत्साह के साथ महिलाओं ने कतार में लगकर मतदान किया है, वह संकेत दे रहा है कि उन्होंने मोदी का भरोसा और भाजपा की गारंटी को स्वीकार किया है।
इस बार एससी-एसटी, ओबीसी और दलित महिलाओं ने भी वोट पैटर्न बदलकर मतदान किया है। इसका रुझान भी मोदी की ओर इशारा कर रहा है। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि उज्ज्वला, मातृ वंदना, शौचालय और मुद्रा जैसी योजनाओं ने घर-घर में मोदी का भरोसा बढ़ाया है। इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा कोई बड़ा कारण नहीं है कि मतदाता कांग्रेस पर भरोसा करें।
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