शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी- देवताओं की पूजा की जाती है। पुरुष और महिलाएं सामान रूप से जिनकी पूजा अर्चना करते हैं। तो वहीं जब बात आती है हनुमानजी की तो महिलाओं को कुछ खास नियमों का ध्यान रखना पड़ता है। हनुमानजी के मंदिर में चढ़ाया प्रसाद भी महिलाएं को खाने की अनुमती नही होती है। लेकिन एक मंदिर है यहां महिलाएं पूजा तो करती ही है साथ में प्रसाद भी ग्रहण करती सकती है।
जहां महिलाएं विशेष नियमों के अनुसार भगवान हनुमान की पूजा करती हैं। यह मंदिर खरगोन शहर, मध्य प्रदेश में स्थित है और यहां के पुजारी बताते रहे हैं कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहां केवल युवा अवस्था में हनुमानजी की मूर्ति है, इसलिए महिलाएं उन्हें भाई के रूप में पूजती हैं। यह मंदिर 350 साल पुराना है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर में तीन मुखी हनुमानजी अपने पैरो में राक्षस को दबाए हुए खड़े है। यहां हनुमानजी के दर्शन कर के उनके बाएं पैर के सिंदूर को अपने माथे पर लगाने से सभी शत्रुओं का सर्वनाथ हो जाता है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें महिलाएं पूजा करती हैं और विशेष रूप से रक्षाबंधन पर राखी भी बांधती हैं। यहां महिलाएं पूजा के बाद प्रसाद भी ग्रहण कर सकती हैं, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता है। मंदिर के पुजारी ने बताया हैं कि हनुमानजी के तीन रूप होते हैं और युवा अवस्था में उन्हें महिलाएं भाई मानती हैं। इस रूप में, यहां की महिलाएं राखी बांधती हैं और प्रसाद ग्रहण कर सकती हैं। यह विशेष मंदिर खासतर से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जहां वे अपने आदान-प्रदान के अनुसार पूजा कर सकती हैं।
पुजारी जी के अनुसार हनुमानजी के तीन रूप होते है। बाल्य अवस्था, युवा अवस्था एवं वृद्ध अवस्था। युवा अवस्था को छोड़ दे तो बाकी दोनों अवस्था में जिस जगह हनुमानजी विराजित होते है वहां महिलाएं दर्शन और पूजा तो कर सकती है, लेकिन प्रसाद नहीं खा सकती, परंतु जहां भी हनुमानजी युवा अवस्था में विराजमान होते है वहां महिलाएं प्रसाद को भी ग्रहण कर सकती है। और खरगोन शहर में यह एकमात्र मंदिर है जहां भगवान युवा अवस्था में मौजूद है।
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