Chhath Puja Vidhi 2023: छठ पर्व के दौरान इन देवी-देवताओं की जरूर करें पूजा, जानें क्या है पौराणिक मान्यता
इंदौर। दीपावली के बाद अब छठ पर्व मनाने के लिए तैयारियों चल रही है। बिहार और उत्तरप्रदेश में छठ पर्व काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। जैसे-जैसे छठ पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे ही फिजाओं में अलग सी मिठास घुल रही है। बिहार और उत्तर प्रदेश में विशेषकर बाजार में इन दिनों रौनक छाई हुई है। छठ पर्व पर भगवान सूर्य देव और छठी मैया की विशेष आराधना की जाती है। लेकिन बहुत कम लोग इसके पौराणिक महत्व के बारे में जानते हैं।
छठ पर्व पर इसलिए होती है सूर्य पूजा
पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, सूर्य देव को सभी ग्रहों का स्वामी माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य देव मजबूत स्थिति में होते हैं तो उसे जीवन में सुख समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। सूर्य देव की आराधना करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है और व्यक्ति को खोया हुआ मान-सम्मान प्राप्त होता है। यही कारण है कि छठ पूजा के दौरान छठी मैया के साथ-साथ सूर्य देव की भी आराधना की जाती है।
सूर्यदेव की बहन है छठी माता
पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि छठी माता सूर्यदेव की बहन है, जो ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी मानी जाती है। सूर्य देव जहां प्रत्यक्ष ग्रह होने के साथ-साथ प्रत्यक्ष देवता भी माने जाते हैं। शास्त्रों में भी उल्लेख है कि दानवीर कर्ण का जन्म भी भगवान सूर्य देव के वरदान के कारण हुआ था। ऐसे में संतान प्राप्ति और संतान सुख के लिए महिलाएं सूर्य देव की आराधना करती है।
भर जाती है सूनी गोद
पौराणिक मान्यता है कि षष्ठी देवी के आशीर्वाद से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है। षष्ठी तिथि को छठी माता के पूजा के साथ सूर्य देव की आराधना करने से दोहरा फल प्राप्त होता है। यही कारण है कि छठ पूजा के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर को होगी। 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन 20 नवंबर को होगा।
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