जबलपुर। अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक क्षेत्रों में इन दिनों भारत का चिरप्रतिद्वंदी चीन नजर आता है। ऐसे में चीन के खिलाफ भारत की सफलता के स्वाद में ज्यादा चीनी घुली होती है। हाल ही में पैरा एशियन गेम्स में भारतीय टेबल टेनिस दल ने चीन में ही जाकर तिरंगा लहराया तो देशभर में उत्साह का माहौल था। भारत की इस सफलता में परदे के पीछे के महारथी इंदौर के प्रमोद गंगराड़े थे, जो बतौर कोच टीम के साथ रणनीति को अंजाम देने में जुटे थे।
इस साल 36 अंतरराष्ट्रीय पदक दिला चुके हैं प्रमोद
इस साल प्रमोद के मार्गदर्शन में भारतीय टीम ने अब तक चार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले और चारों में धमाकेदार प्रदर्शन रहा। ब्राजील में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में प्रमोद के मार्गदर्शन में भारतीय टीम ने दो पदक जीते थे। इसके बाद जार्डन में भारतीय टीम ने कुल 22 पदक जीतते हुए धमाकेदार प्रदर्शन किया। थाइलैंड में 10 पदक जीते और एशियन गेम्स में दो पदक जीतते हुए अब तक यह साल जोरदार रहा है।
मप्र के प्रमोद गंगराड़े अब भारतीय पैरा खिलाड़ियों को तराशने में जुटे हैं
अपने जमाने के दिग्गज खिलाड़ी रहे मप्र के प्रमोद गंगराड़े अब भारतीय पैरा खिलाड़ियों को तराशने में जुटे हैं। लंबे समय से भारतीय टेबल टेनिस महासंघ बतौर कोच उनकी सेवाएं ले रहा है और बदले में प्रमोद भी पदकों से से झोली भर रहे हैं। यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि देश में पैरा खिलाड़ियों की अब तक सभी राष्ट्रीय स्पर्धाएं इंदौर में ही हुई है।
एशियन पैरा गेम्स में भारत ने दो पदक व्यक्तिगत वर्ग में जीते
चीन में संपन्न एशियन पैरा गेम्स में भारत ने इतिहास रचते हुए दो पदक व्यक्तिगत वर्ग में जीते। यह पहली बार है कि पैरा टेबल टेनिस में एशियन गेम्स में किसी भारतीय खिलाड़ी ने व्यक्तिगत पदक जीता हो। भारत के संदीप दांगी ने क्लास वन में व्यक्तिगत कांस्य पदक जीता। वहीं भाविना पटेल ने महिलाओं के क्लास फोर में कांस्य पदक जीता था। भाविना पटेल पैरालिंपिक की रजत पदक विजेता भी हैं। इन दोनों खिलाड़ियों को इनकी शारीरिक विषमताओं के बीच बेहतर खेल के गुर सिखाना आसान नहीं था।
विपक्षी खिलाड़ी जहां कमजोर रहे इसकी जानकारी जुटाई
प्रमोद बताते हैं कि मैंने विपक्षी खिलाड़ियों के वीडियो और उनकी तकनीक का भी अध्यन किया। वे कहां कमजोर हैं और कहां मजबूत यह जानकारी जुटाई। इस आधार पर हम मैच दर मैच अपनी रणनीति तैयार करते थे। अंत में इस योजना का पदक के रूप में सकारात्मक प्रतिफल मिला।
प्रमोद दिव्यांग राट्रीय स्तर पर टूर्नामेंट जीत चुके हैं
प्रमोद दिव्यांग होने के बावजूद सामान्य वर्ग में खेलते हुए कई बार राज्य स्तर पर और राट्रीय स्तर पर टूर्नामेंट जीत चुके हैं। प्रमोद 11 नेशनल खेल चुके हैं तब पैरा खिलाड़ियों के लिए अलग से टूर्नामेंट नहीं होते थे। इसके बाद जब पैरा खिलाड़ियों के लिए टूर्नामेंट प्रारंभ हुए तो दो बार नेशनल चैंपियन बने। प्रमोद 1983 में मप्र के लिए टीम चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुके हैं। उल्लेखनीय है कि यह टूर्नामेंट सामान्य वर्ग के खिलाड़ियों के लिए था। तब राजस्थान के खिलाफ निर्णायक मैच में प्रमोद ने जीत दर्ज करते हुए मप्र को पदक दिलाया था। इसके बाद से अब तक राष्ट्रीय स्पर्धा के टीम वर्ग में मध्य प्रदेश कभी कोई पदक नहीं जीत सका है।
क्रिकेट मैच जैसी भीड़ टेबल टेनिस स्टेडियम में
प्रमोद बताते हैं जैसी भीड़ हमारे यहां क्रिकेट के लिए होती है, वैसी भीड़ चीन में एशियन गेम्स के दौरान टेबल टेनिस के मैच देखने को आती थी। लोग झंडे और बैनर लेकर स्टेडियम में आते हैं। गजब का उत्साही माहौल होता था। प्रमोद वर्ष 2013 से लगातार भारतीय टीम के साथ विेदेशी दौरों पर जा रहे हैं। वे बताते हैं, दो बार एशियन चैंपियनशिप में कोच रहा और दोनों ही बार टीम ने पदक जीते। दो बार एशियन गेम्स में टीम के साथ कोच बनकर गए और दोनों ही बार भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने पदक जीते। बर्मिंघम कामनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम का कोच था। यहां पर भारतीय खिलाड़ियों ने एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता था।
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