इंदौर। दिवाली का त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। 5 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस पर्व के साथ शुरू होती है और भाई दूज पर्व के साथ इसका समापन होता है। धनतेरस पर जहां भगवान धन्वंतरी, कुबेर देव की पूजा की जाती है। वहीं दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपावली पर लक्ष्मी की पूजा के बाद उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप यह आरती गान कर सकते हैं। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, देवी लक्ष्मी की आरती के बिना पूजा को पूरा नहीं माना जाता है। विधि-विधान से पूजा के बाद आरती करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
श्री लक्ष्मी आरती
ऊँ जय लक्ष्मी अंबे, मैया जय आनंद कन्दे।
सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।। ऊँ जय
कनक समान कलेवर, दिव्याम्बरं राजे। मैया
श्री पीठे सुर पूजित, कमलासन साजे।। ऊँ जय
तुम हो जग की जननी, विश्वम्भर रूपा। मैया
दुख दारिद्रय विनाशे, सौभाग्यं सहिता।। ऊँ जय
नाना भूषण भाजत, राजत सुखकारी। मैया
कानन कुण्डल सोहत, श्री विष्णु प्यारी।। ऊँ जय
उमा तुम्हीं, इन्द्राणी तुम सबकी रानी। मैया
पद्म शंक कर धारी, भुक्ति, मुक्ति दायी।। ऊँ जय
दुख हरती सुख करती, भक्तन हितकारी। मैया
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी। ऊँ जय
अमल कमल घृत मातः, जग पावन कारी। मैया
विश्व चराचर तुम ही, तुम विश्वम्भर दायी।। ऊँ जय
कंचन थाल विराजत, शुभ्र कर्पूर बाती। मैया
गावत आरती निशदिन, जन मन शुभ करती। ऊँ जय
12 नवंबर को है दीपावली
इस साल अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2.43 मिनट से शुरु हो जाएगी और अगले दिन 13 नवंबर को दोपहर 12.56 मिनट तक रहेगी। ऐसे में दीपावली पर देवी लक्ष्मी का पूजन का मुहूर्त 12 नवंबर को शाम में 5.29 से 8.8 मिनट तक रहेगा।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.