खालिस्तान का समर्थक CANADA खुद विभाजन के कगार पर ! “क्यूबेक” चिंगारी भड़की तो कहीं का न रहेगा कनाडा

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो  ने आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के खिलाफ  खालिस्तानयों को खुलेआम  समर्थन  दिया तो उनके खिलाफ अपने ही देश में भी अलगाववाद की चिंगारी भड़क उठी है।  कनाडा  और भारत के बीच इस समय तनाव है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ठोस सबूत सार्वजनिक किए बगैर भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव चरम पर पहुँच गया है। इस बीच खालिस्तान आंदोलन को हवा दे रहे ट्रूडो के लिए क्यूबेक संप्रभुता आंदोलन बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है।क्यूबेक कनाडा में आबादी और क्षेत्रफल, दोनों के मामले में क्रमश: पहले और दूसरे नंबर का राज्य है। कनाडा से क्यूबेक के निकलने का मतलब होगा, कनाडा की कमर टूट जाना।

…तो कहीं का नहीं रहेगा  कनाडा
वैसे, कनाडा में सिर्फ क्यूबेक ही नहीं, बल्कि कस्काडिया, वेस्टर्न कनाडा, अल्बर्टा और सस्केचेवान जैसे राज्य भी आजादी की मांग करते रहे हैं। ऐसे में अगर भारत ने कनाडा के अलगाववादियों की मांग को हवा दी, तो कनाडा कहीं का नहीं रहेगा।  क्यूबेक संप्रभुता आंदोलन के तहत इसके समर्थक कनाडा से अलग होने की मांग कर रहे हैं। निज्जर विवाद के बीच क्यूबेक नेता  का एक बड़ा बयान सामने आया है।  क्यूबेक  पार्टी नेता पॉल सेंट-पियरे प्लामोंडन  का कहना है कि कनाडा में रहने का मतलब सरकार से किसी भी तरह का समझौता  नहीं है। उन्होंने कनाडा से  क्यूबेक की आजादी का समर्थन करते हुए कहा कि क्यूबेक को कनाडा से अलग करने का संघीय तर्क “कभी कमजोर नहीं रहा”। उन्हें लगता है कि बलिदानों के बिना स्वतंत्रता की  संभावना नहीं है और वे इसके लिए तैयार हैं।

इससे पहले क्यूबेक के प्रीमियर फ्रांकोइस लेगॉल्ट ने कहा था कि  स्वतंत्र क्यूबेक आर्थिक रूप से व्यवहार्य होगा, लेकिन  क्यूबेक वासियों को यह बताने की ज़रूरत है कि इसे हासिल करने के लिए बलिदान की आवश्यकता होगी ।  सैद्धांतिक स्वतंत्र क्यूबेक के लिए अपना वर्ष 1 का बजट प्रस्तुत करने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में  लेगौल्ट ने पीक्यू मंत्री के रूप में अपने पिछले बयानों से इनकार नहीं किया जिसमें उन्होंने कहा था कि स्वतंत्रता काम कर सकती है।  दिलचस्प बात यह है कि कनाडा लंबे समय से खालिस्तानी अलगाववादियों का समर्थक रहा है। इतना ही नहीं, जस्टिन ट्रूडो के पिता व पूर्व प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो ने बब्बर खालसा के प्रमुख खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण को लेकर भारत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।  परमार कनाडा में रहता रहा। बाद में उसने एयर इंडिया के प्लेन में बमबारी की योजना बनाई, जिसमें 268 कनाडाई लोगों सहित 329 लोग मारे गए थे।

दशकों से क्यूबेक  निवासी एक अलग राष्ट्र की कर रहे मांग
कनाडा ने लंबे समय से भारत के खिलाफ अलगाववाद आंदोलन का समर्थन किया है, लेकिन खुद कनाडा का बड़ा इलाका इसी तरह की स्थिति से गुजर रहा है। दशकों से क्यूबेक के निवासी एक अलग राष्ट्र की मांग कर रहे हैं। क्यूबेक का अधिकांश भाग मुख्य रूप से फ्रांसीसी है। वहां पहले ही दो जनमत संग्रह हो चुके हैं, जिनमें से दूसरा कनाडा केवल लगभग 54,000 वोटों के अंतर से जीता था।  पिछले माह   भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने खालिस्तान आंदोलन को हवा दे रहे कनाडा से बदला लेने के लिए क्यूबेक स्वतंत्रता आंदोलन को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत को आगे आने तक की सलाह दे दी थी । भारत के खिलाफ जनमत संग्रह जैसे अलगाववादी आंदोलन पर पांडा ने कहा था कि  कनाडा सरकार क्यूबेक अलगाववादियों के लिए जनमत संग्रह की अनुमति नहीं देती है, लेकिन खालिस्तानी अलगाववादियों से उन्हें कोई समस्या नहीं है।

खालिस्तान समर्थक कनाडा में ना सिर्फ जनमत संग्रह कराते हैं, बल्कि हिंसात्मक कृत्यों का जश्न भी मनाते हैं। कनाडा में भी क्यूबेक जनमत संग्रह जैसे अलगाववादी आंदोलन होते हैं। लेकिन ट्रूडो उन लोगों को खालिस्तानियों जितनी स्वतंत्रता नहीं देते हैं।  उन्होंने कहा था कि जिस तरह से ट्रूडो खालिस्तानी अलगाववादियों को कनाडा की धरती पर भारत के खिलाफ जनमत संग्रह करने की अनुमति देते हैं उसी तरह भारत सरकार को भी क्यूबेक की आजादी के मुद्दे पर एक ऑनलाइन जनमत संग्रह कराने की योजना पर विचार करना चाहिए।  क्यूबेक स्वतंत्रता आंदोलन में उनके बलिदानों, बमबारी और हत्या के प्रयासों की याद में आयोजित कार्यक्रमों के लिए भारतीय जमीन की पेशकश भी करनी चाहिए  ठीक वैसे ही, जैसे कनाडा खालिस्तानियों को अनुमति देने के लिए इतना विचारशील रहा है ।

 क्या है क्यूबेक आंदोलन और क्यों मांगी जा रही कनाडा से आजादी ?

  • संप्रभुता आंदोलन एक राजनीतिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य कनाडा से क्यूबेक की स्वतंत्रता प्राप्त करना है । सं
  • प्रभुतावादियों का सुझाव है कि क्यूबेक के लोग आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का उपयोग करें ।
  • इसमें एक सिद्धांत जिसमें तीसरे राज्य के साथ एकीकरण, किसी अन्य राज्य के साथ राजनीतिक सहयोग या स्वतंत्रता के बीच चयन करने की संभावना शामिल है ताकि क्यूबेक, सामूहिक रूप से और लोकतांत्रिक तरीकों से, अपने आप को अपने स्वतंत्र संविधान के साथ एक संप्रभु राज्य दें ।
  • कनाडा को चार राज्यों के संघ के तौर पर बनाया गया था, जिसका प्रमुख स्तंभ है क्यूबेक।
  • ये बाकी कनाडा से अलग इसलिए भी है, क्योंकि क्यूबेक में अंग्रेजी नहीं, बल्कि फ्रेंच भाषी लोग बहुमत में हैं।
  • क्यूबेक में 94 प्रतिशत लोग फ्रेंच भाषी (लिखना-पढ़ना-बोलना) हैं और वो बाकी के अंग्रेजी भाषी कनाडा से खुद को अलग देखते हैं।
  • क्यूबेक की आजादी के लिए 1980 और 1995 में दो बार जनमत संग्रह भी हो चुका है। साल 1995 में जनमत संग्रह के नतीजों में सिर्फ 1 प्रतिशत का अंतर था।
  • दरअसल, अलगाव ना चाहने वाले 50.06 प्रतिशत के मुकाबले अलगाव चाहने वालों की संख्या 49.04 प्रतिशत रही।
  • इस थोड़़े से अंतर के कारण ये जनमत संग्रह गिर गया था और क्यूबेक स्वतंत्र देश बनते-बनते रह गया था। बाद में क्यूबेक को अधिक स्वायत्तता दे दी गई। हालाँकि, अलग देश की माँग अभी भी जारी है।

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