सोयाबीन के दाम अब भी सीमित रेंज में, उपभोक्ता खुश

इंदौर। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने तेल वर्ष 2022-23 में क्रशिंग और सोया मील के आंकड़ों में बदलाव किया है। सितंबर में वर्ष समाप्ति के बाद सोपा ने नई रिपोर्ट में ताजा आंकड़े दिए हैं।

सोपा के अनुसार, सोयाबीन क्रशिंग और सोयाबीन मील का उत्पादन पूर्वानुमान से अधिक रहा। इसी के साथ अगले तेल वर्ष 2023-2024 के लिए कैरी फारवर्ड स्टाक के अनुमान में भी तब्दीली की है। सोपा के अनुसार, अक्टूबर से शुरू इस तेल वर्ष में कैरी फारवर्ड स्टाक 24.04 लाख टन रहेगा। जो पहले 32.26 लाख टन आंका गया था।

समाप्त हुए तेल वर्ष में सोयाबीन का कुल उत्पादन 143.26 लाख टन बताया गया है। बीते वर्ष 113.27 लाख टन के मुकाबले यह खासा बेहतर है। इस साल नए सोयाबीन की आवक सितंबर में शुरू हुई। बीते साल जहां इस दौरान 93 लाख टन आवक मंडियों में हुई थी। इस साल 116 लाख टन की आवक दर्ज हुई। सोपा के अनुसार, समाप्त हुए सीजन में सोयाबीन मील का कुल उत्पादन 91.79 लाख टन रहा। बीते सीजन में यह सिर्फ 67 लाख टन से कुछ ज्यादा था। सोयामील के बेहतर उत्पादन से सोयामील का इस सीजन में निर्यात बढ़ता हुआ दिख रहा है।

पशु आहार इंडस्ट्री को भी लाभ पहुंचा

सोपा के आंकड़ों के अनुसार, निर्यात बढ़कर 18 लाख टन हो गया है, जो बीते साल सिर्फ 6.44 लाख टन था। साथ ही नए सीजन के लिए कैरीफारवर्ड स्टाक भी 1.32 लाख टन हाथ में रहने की उम्मीद है। मील का उत्पादन बढ़ने से न केवल निर्यातकों को लाभ हुआ है, बल्कि पोल्ट्री और पशु आहार इंडस्ट्री को भी लाभ पहुंचा है। सोपा के अनुसार, सोयाबीन की कीमतें अब भी 42000 से 47000 की रेंज में बनी हुई है। मील के दाम भी नियंत्रण में होने से इसका देश में उपभोग बढ़ा है।

उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष पोल्ट्री इडस्ट्री की मांग के चलते सोयामील का निर्यात किया गया था। देश में दाम तेज होने के साथ ही उत्पादन भी घटा था। निर्यात बढ़ने से देश को विदेशी मुद्रा की आय भी हो रही है। सोयाबीन के कम दाम से उपभोक्ता खुश है लेकिन इससे किसान में अंसतोष भी है। सोपा ने दामों में मजबूती आना किसानों को उत्पादन के लिए प्रेरित करने के लिए जरुरी करार दिया है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.