उमा ने महेश संग किया नगर भ्रमण, सांझी विसर्जित करने शिप्रा तट पहुंचीं

उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में उमा सांझी महोत्सव के समापन पर सोमवार को उमा माता की सवारी निकाली गई। शाही ठाठ बाट से निकली सवारी में माता पार्वती चांदी की पालकी में सवार थीं। भगवान महाकाल मन महेश रूप में नंदी पर सवार होकर निकले। परंपरागत मार्गों से होकर सवारी शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों ने सांझी विसर्जित कर उमा माता की पूजा अर्चना की।

10 अक्टूबर से शुरू हुआ था उमा सांझी महोत्सव

बता दें 10 अक्टूबर को अश्विन कृष्ण एकादशी से उमा सांझी महोत्सव का शुभारंभ हुआ था। 14 अक्टूबर को अमावस्या तक पांच दिन विभिन्न आयोजन हुए। मंदिर की परंपरा अनुसार महापर्व संपन्न होने के बाद अश्विन शुक्ल द्वितीया पर माता पार्वती रजत पालकी में सवार होकर सांझी विसर्जित करने शिप्रा तट पहुंचीं। दोपहर 3.30 बजे मंदिर के सभा मंडप में पुजारी ने उमा माता की पूजा अर्चना की। इसके बाद देवी को रजत पालकी में विराजित किया गया।

इन मार्गों से गुजरी सवारी

शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से सवारी शुरू हुई, जो महाकाल चौराहा, महाकाल घाटी, तोपखाना, दौलतगंज चौराहा, नईसड़क, कंठाल, सराफा, छत्रीचौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कार्तिक चौक एवं मोढ़ की धर्मशाला, रामानुज कोट होते हुए क्षिप्रा तट पर पहुंची। यहां जवारे व सांझी का विसर्जन किया गया।

उज्जैन में पुजारी शिप्रा जल से माता पार्वती का अभिषेक पूजन करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, कहारवाड़ी, बक्षी बाजार, महाकाल रोड़ होते हुए शाम 7 बजे पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।

सवारी में यह रहा खास

– चांदी की पालकी में माता पार्वती की रजत मूर्ति निकली।

– गरुड़ रथ पर माता पार्वती की पीतल की मूर्ति विराजित की गई।

– भगवान महाकाल मनमहेश रूप में नंदी पर सवार होकर निकले।

– सशस्त्र बल की टुकड़ी, पुलिस बैंड, अश्वरोही दल कारवां में शामिल हुआ।

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