छात्रों के लिए खुशखबरी! साल में दो बार 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा देना जरूरी नहीं, शिक्षा मंत्री ने दी ये जानकारी
10वींऔर 12वींकी बोर्ड परीक्षा के लिए साल में दो बार शामिल होना कोई जरूरी नहीं है। यह ऐलान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “छात्रों के लिए साल में दो बार कक्षा 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा इसका मुख्य मकसद एकल अवसर के डर से होने वाले उनके तनाव को कम करना है। उन्होंने कहा कि सरकार कोशिश में जुटी हुई है कि छात्रों को कोचिंग की जरूरत न पड़े।
बोर्ड एग्जाम में बैठने का ऑप्शन चुन सकते
शिक्षा मंत्रालय के नए स्लेबस के मुताबिक, 11वीं और 12वीं के छात्रों को एक के बजाय दो भाषाएं पढ़ना होगा। छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिले। इसके लिए साल में कम से कम दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराई जाएंगी। छात्र सिर्फ एक बार ही बोर्ड एग्जाम में बैठने का ऑप्शन चुन सकते हैं।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने कहा था कि दो बोर्ड परीक्षा प्रणाली फिर से शुरू होने जा रही है। छात्रों को “समय और अवसर” दोनों देने के लिए अंतिम परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी। इसमें कहा गया था कि जब वे तैयार महसूस करें तो वे इसे दे सकते हैं। स्कूली शिक्षा के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 में NCERT ने कहा कि यह एक “व्यापक परीक्षण आइटम बैंक” बनाकर संभव बनाया जाएगा, जिसका उपयोग उपयुक्त सॉफ्टवेयर का उपयोग करके टेस्टिंग बनाने के लिए किया जा सकता है।
छात्रों को दो भाषाएं पढ़नी होंगी और उनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए
इसमें कहा गया है कि यह निकट भविष्य में NEP में कल्पना की गई ऑन डिमांड परीक्षाओं की प्रणाली की ओर बढ़ने में सक्षम होगा। बोर्डों की वर्तमान प्रणाली पर NCF का कहना है कि एक वर्ष में एक परीक्षा के साथ छात्रों को तैयार होने पर इसे लेने का मौका नहीं मिलता है, या पहला अवसर चूक जाने पर इसे पास करने का दूसरा मौका नहीं मिलता है। बोर्ड परीक्षाओं की वर्तमान चुनौतियों के बारे में NCF ने कहा था कि यह केवल “छात्रों द्वारा सीखे गए तथ्यों को पुन: पेश करने की क्षमता” पर ध्यान केंद्रित करता है, जो कि परीक्षाओं के लिए नहीं है।
NCF में कहा गया था कि बोर्ड दक्षताओं की उपलब्धियों का आकलन करने के लिए एक निष्पक्ष और विश्वसनीय टेस्टिंग प्रक्रिया और तरीकों को डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए जिम्मेदार होगा। फ्रेमवर्क यह भी सुझाती है कि कक्षा 11वीं और 12वीं में छात्रों को दो भाषाएं पढ़नी होंगी और उनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि कक्षा 11वीं और 12 में विषयों का चयन आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स जैसी स्ट्रीमों तक ही सीमित नहीं रहेगा ताकि चयन में फ्लेक्सिबिलिटी मिल सके।
VIDEO | “Appearing for class 10, 12 board exams twice a year will not be mandatory for students. It will be completely optional and the main objective is to reduce their stress caused by the fear of single opportunity,” says Education Minister Dharmendra Pradhan in an exclusive… pic.twitter.com/dgN9dJqtZt
— Press Trust of India (@PTI_News) October 8, 2023
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