आईसीएमआर के डीजी राजीव बहल ने शुक्रवार को बताया कि निपाह में संक्रमित लोगों की मृत्यु दर बहुत अधिक है, जबकि कोविड के मामले में मृत्यु दर 2-3 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि निपाह से संक्रमित लोगों की मृत्युदर 40 से 70 प्रतिशत के बीच है। बहल ने बताया, “निपाह के प्रकोप को रोकने के प्रयास जारी हैं, सभी संक्रमित व्यक्ति ‘इंडेक्स पेशेंट (पहला संक्रमित मरीज)’ के संपर्क में आए थे। हम नहीं जानते कि केरल में निपाह के मामले क्यों सामने आते रहते हैं। हमारे पास केवल 10 रोगियों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी खुराक हैं। अब तक किसी को भी नहीं दी गई है।
राजीव बहल ने बताया कि भारत ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक मांगी है, संक्रमण के प्रारंभिक चरण के दौरान दवा दी जानी चाहिए। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का प्रभावकारिता परीक्षण नहीं किया गया है, केवल चरण एक का परीक्षण पूरा हुआ है। इसे केवल संभावित औषधि के रूप में ही दिया जा सकता है।
बता दें कि केरल के कोझिकोड जिले में 39 वर्षीय एक व्यक्ति के निपाह वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। यह व्यक्ति एक संक्रमित मरीज के सीधे संपर्क में आया था जिसकी 30 अगस्त को संक्रमण से मृत्यु हो गई थी। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने यहां शुक्रवार को यह जानकारी दी। उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने उन सभी लोगों की जांच का फैसला किया जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं और जिनके संक्रमित होने का जोखिम अधिक है।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि व्यक्ति ने एक निजी अस्पताल में इलाज की मांग की थी। स्थिति का जायजा लेने के लिए आज यहां कोझिकोड कलेक्टरेट में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में जॉर्ज के अलावा मंत्री पी. ए. मोहम्मद रियास, अहमद देवरकोविल और ए. के. शशिंद्रन ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए जॉर्ज ने कहा कि वायरस से संक्रमित नौ साल का लड़का वेंटिलेटर सपोर्ट पर है, उसके अलावा प्रभावित अन्य लोगों की स्वास्थ्य की स्थिति स्थिर है। उन्होंने कहा कि संदेह है कि उपचाराधीन मरीज उस व्यक्ति से संक्रमित हुआ था जिसकी 30 अगस्त को मृत्यु हो गई थी।
जॉर्ज ने कहा, ‘‘इसलिए, हमने उन सभी लोगों की जांच करने का निर्णय लिया है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं और उनके संक्रमित होने का जोखिम अधिक है, भले ही उनमें कोई लक्षण नहीं हों। वर्तमान में हमारे पास कोझिकोड में दो अतिरिक्त केंद्र हैं। हमारे पास राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) से एक मोबाइल लैब हैं, दो मशीनें हैं जो एक समय में 96 नमूनों की जांच कर सकती हैं।” नियम के मुताबिक केवल उन्हीं लोगों के नमूनों की जांच की जा सकती है जिनमें लक्षण दिखें।
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