पानीपत : जम्मूू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर आशीष का पार्थिव शरीर शुक्रवार यानि आज सुबह पानीपत पहुंचा है। सेना की गाड़ी में पार्थिव शरीर को सबसे पहले TDI सिटी स्थित उनके नव निर्मित मकान में लाया गया।
ये मकान मेजर आशीष के सपनों का घर था
बताया जा रहा है कि ये मकान आशीष के सपनों का घर था। क्योंकि दो साल से चल रहे इस मकान के निर्माण कार्य की देख-रेख खुद आशीष ही कर रहे थे। जिस मकान में उन्होंने खुशियों के साथ अक्टूबर माह में अपने जन्मदिन पर जागरण के साथ गृह प्रवेश करना था। आज उस मकान में उसके पार्थिव शरीर को लाया गया है। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव बिंझौल ले जाया गया। जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर आशीष
मेजर आशीष तीन बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं। उनके चाचा का बेटा भी भारतीय सेना में मेजर हैं। उनकी पोस्टिंग झांसी में है लेकिन आजकल वह पूना में ट्रेनिंग पर हैं।
कब तक तिरंगे में लिपट कर आते रहेंगे जवान
शहीद आशीष के जीजा सुरेश ने कहा कि कब तक यूं ही तिरंगे में लिपटकर आते रहेंगे हमारे देश के जवान। सरकार को इसके प्रति कोई ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि हर दिन जवानों की शहादत ना हो। सुरेश ने बताया कि कुछ दिन बाद ही आशीष को छुट्टी लेकर घर आना था और पानीपत में बनाए गए नए मकान में शिफ्ट होने था। 23 अक्टूबर को उसका जन्मदिन भी था सोच रहे थे कि जन्मदिन पर जश्न भी हो जाएगा और नए मकान में भी शिफ्ट हो जाएंगे। लेकिन उनको क्या पता था कि उनके जश्न से पहले घर में मातम छा जाएगा।
बता दें कि आशीष 2012 में सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। आशीष का लक्ष्य सेना में जाकर देख की सेवा करना था। उन्होंने वो कर दिखाया। आशीष के चाचा एयर फोर्स में थे और उनको देखकर आशीष कहते थे कि वह भी देश की सेवा करना चाहता है।
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