छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा-लालफीताशाही चलाने की ना करें कोशिश

 

बिलासपुर। बिलासा एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग,रनवे विस्तार और विमान तल के अपग्रेडेशन को लेकर दायर दो जनहित याचिका पर गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता से पूछा कि 90 करोड रुपये राज्य शासन द्वारा जमा कराने के बाद जमीन के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं की जा रही है। इस पर अधिवक्ता नियमों की बात करने लगे। डिवीजन बेंच ने नाराजगी के साथ ही आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जब पूरा मामला हाई कोर्ट के निर्देश और निगरानी में हो रहा है उसके बाद नियम प्रक्रिया में ना उलझाएं। लालफीताशाही चलाने की कोशिश ना करें। कोर्ट ने सिविल एविएशन,सैन्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी व छग के मुख्य सचिव को आपस में बैठकर समन्वय बनाने और चार सप्ताह बाद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

अधिवक्ता संदीप दुबे व बिलासपुर निवासी कमल दुबे की जनहित याचिका पर गुरुवार को जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस दीपक तिवारी के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। अधिवक्ता संदीप दुबे की ओर से केंद्र सरकार के पूर्व सालिसिटर जनरल व मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा उपस्थित हुए। विवेक तन्खा ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा। निजी विमानन कंपनी को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा तीन महत्वपूर्ण सुविधा देने की बात कही। अधिवक्ता तन्खा ने कहा कि राज्य सरकार ईंधन में शुल्क ले रही है,इसे नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा नाइट लैंडिंग शुरु होने की स्थिति में प्रतिदिन का 30 से 40 हजार रुपये किराया निजी विमानन कंपनी को देना पड़ेगा। वीजीएफ फंड जो 50-50 फीसद राज्य व केंद्र सरकार को होता है इस पर विमानन कंपनी को छूट देनी चाहिए। यह छूट कम से कम दो तीन वर्ष तक मिलनी चाहिए। इससे विमानन कंपनी आकर्षित होंगी और उड़ानें बढ़ेंगी। अधिवक्ता व राज्यसभा सदस्य तन्खा के प्रस्ताव पर महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि वीजीएफ फंड राज्य सरकार नहीं लेगी इसके लिए केंद्र सरकार की सहमित भी उतनी ही जरुरी है। पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने बताया कि 30 सितंबर तक एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग के लिए किए जा रहे विद्युतीकरण सहित जरुरी तकनीकी कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे। इसके बाद नाइट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नाइट लैंडिंग की सुविधा मिलने के साथ ही एयरपोर्ट के चारों तरफ पक्की दीवार भी बनानी होगी। इसके लिए कार्य प्रारंभ होने की जानकारी कोर्ट को अधिकारियों ने दी है।

छग हाई कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा याचिकाकर्ता अधिवक्ता संदीप दुबे की तरफ से और राज्य शासन की ओर से पैरवी की। कोर्ट ने इसके लिए उन्हें अनुमित दी है। कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि चूंकि जनहित याचिका में राज्य के साथ ही बिलासपुर अंचल की हित है और यह सुविधा विस्तार के लिए है लिहाजा एजी वर्मा दोनों ही तरफ से पैरवी कर सकते हैं। दरअसल जब अधिवक्ता दुबे ने जनहित याचिका दायर की थी तब सतीशचंद्र वर्मा अधिवक्ता की हैसियत से पैरवी कर रहे थे। महाधिवक्ता बनने के बाद राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे थे।

दो पूर्व महाधिवक्ता ने की पैरवी

जनहित याचिका में दो पूर्व महाधिवक्ताओं ने भी पैरवी की। छग के पूर्व महाधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव व मप्र के पूर्व महाधिवक्ता विवेक तन्खा ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी की।

गलत जानकारी दी तो जेल जाने रहो तैयार

निजी विमानन कंपनी अलायंस एयर के अफसरों से कोर्ट ने पूछा कि बिलासपुर भोपाल और बिलासपुर इंदौर फ्लाइट को क्यों बंद कर दी गई है। इस पर कंपनी के अफसरों ने अपनी बात कही। डिवीजन बेंच ने कहा कि मौखिक के बजाय शपथ पत्र के साथ जानकारी दें। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया कि कंपनी द्वारा दी जा रही जानकारी का परीक्षण एविएशन विभाग के अफसर करे। निजी विमानन कंपनी के अधिकारियों से कहा कि गलत जानकारी देने पर जेल जाने के लिए भी तैयार रहे। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिलासा एयरपोर्ट को उड़ान 5.0 योजना से बाहर कर दिया गया है। एक ही प्लेन की आठ बार लैंडिंग कराओगे तो विकसित एयरपोर्ट कैसे हो जाएगा। बिलासपुर के साथ ऐसा क्यों हो रहा है। अधिवक्ता तन्खा जगदलपुर एयरपोर्ट के विकास का मुद्दा भी कोर्ट के समकक्ष उठाया।

टर्मिनल बिल्डिंग का काम चल रहा

इस दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद वर्मा ने कोर्ट को बताया गया कि एयरपोर्ट में टर्मिनल बिल्डिंग और नाइट लैडिंग का काम चल रहा है, जो अब पूरा होने वाला है। रन-वे के पास निर्माणाधीन आइसोलेशन-बे को भी जल्द पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। एयरपोर्ट का थ्री सीबीएफआर से थ्री सीआइएफआर कैटेगरी में उन्नयन किया जा रहा है। सेना से जमीन मिलने के बाद एयरपोर्ट में रन-वे की लंबाई का काम शुरू हो सकेगा।

इन अधिवक्ताओं ने की पैरवी

विवेकके तन्खा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं संसद के साथ अलोक ऋषि, प्रगति कौशिक, मानस वाजपेयी, दीपा सिंह,

अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव, संदीप दुबे, उपस्थित हुए।

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