मूंग बेचने के बाद भुगतान को परेशान किसान 24 अगस्त को देंगे धरना विधायक का करेंगे घेराव

 इटारसी। प्रदेश सरकार द्वारा की गई समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी के बाद अब किसान अपना भुगतान लेने के लिए भटक रहे हैं। जिले के कई वेयर हाउस में दो माह पहले मूंग बेच चुके किसानों के खातों में नाफेड द्वारा आज तक भुगतान नहीं किया गया है। परेशान किसान लंबे समय से भुगतान के लिए वेयर हाउस के चक्कर काट रहे हैं। मामले को लेकर 24 अगस्त को जिला मुख्यालय के पीपल चौक पर धरना देंगे। किसानों ने कहा कि इसके बाद भी भुगतान नहीं हुआ तो संगठन के पदाधिकारी विधायकों का घेराव करेंगे।

अब तक नहीं भेजी राशि

जय मजदूर जय किसान क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के आह्वान पर जिले के सारे किसान धरना प्रदर्शन करेंगे। किसानों ने बताया कि इटारसी तहसील के डोलरिया, बेराखेड़ी, बोरतलाई समेत अन्य वेयर हाउस में सैकड़ों किसानों ने 7 हजार 775 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सरकार को मूंग बेची थी, नाफेड ने कहा था कि 4 दिन के अंदर भुगतान हो जाएगा, लेकिन कई किसानों के खातों में अभी तक यह राशि नहीं भेजी गई है।

किसानों ने जारी की बकाया भुगतान की सूची

संगठन के जिलाध्यक्ष हरपाल सिंह सोलंकी ने बताया कि उन्होंने स्वयं बोरतलाई वेयरहाउस में मूंग बेची थी, आज तक इसका भुगतान खाते में नहीं आया, इसी तरह अशोक जमनादास, शिवराम, रामकिशन, सुधीर गौर समेत अन्य किसानों ने बकाया भुगतान की सूची जारी करते हुए कहा कि पूरे जिले में इस तरह कई किसान हैं, जिनके खातों में मूंग विक्रय की राशि आज तक जमा नहीं की गई है।

परेशान हो रहे अन्नदाता

किसानों ने बताया कि मूंग बेचने के बाद किसानों ने धान रोपाई शुरू की है। मूंग पैदावार के लिए लिए गए खाद-यूरिया, बीज, बिजली और अन्य बकाया उधारी चुकाने के लिए भुगतान का इंतजार था। किसानों को आस थी कि 4 दिन में भुगतान हो जाएगा, लेकिन दो माह बीतने के बावजूद आज तक नाफेड से किसानों के खातों में राशि नहीं डाली गई है।

हरपाल सिंह सोलंकी ने बताया कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद राज्य सरकार द्वारा जून माह के अंत तक मूंग खरीदी की गई थी, वादा किया गया था कि भुगतान तत्काल हो जाएगा, लेकिन अभी तक राशि जारी नहीं की गई है।

किसान कांग्रेस जिलाध्यक्ष बाबू चौधरी ने कहा कि क्षेत्र के सारे ग्रामीण सब स्टेशनों पर सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से धान में पानी की कमी हो रही है। अब तो विधायकों को भी सब स्टेशनों पर जाकर बैठक करना पड़ रहा है, इसके बावजूद हालात में सुधार नहीं आ रहा है।

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