मुरैना। जिले में उद्योग विकास को ऊंचाई देने के लिए कई बड़े उद्योगों की योजना बनी। इनके MOU भी हस्ताक्षर हुए, लेकिन कुछ बड़े प्रोजेक्ट जमीन के अभाव में अटक गए हैं। फुटवियर पार्क और लेदर पार्क कागजों से बाहर नहीं निकल पाए। वहीं ऐसी कई बड़ी कंपनयिां है, जिन्हे जमीन आवंटित हो चुकी है, लेकिन उन्होने उद्योग स्थापित करने के जिए एक ईंट तक नहीं रखी।
10 महीने पहले दिखाई थी जमीन
मप्र इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट अथारिटी (आइआइडीए) ने मुरैना जिले में लाजिस्टिक पार्क बनाने के लिए 200 हेक्टेयर जमीन मांगी थी, जिस पर जिला प्रशासन ने करीब 10 महीने पहले मवई गांव, बस्तपुर और बड़वारी गांव के पास आइआइडीसी को जमीनें दिखाई थीं, लेकिन इनमें से अब तक किसी भी गांव में जमीन आवंटित नहीं की है, इस कारण लाजिस्टिक पार्क का काम फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ा है।
गौरलतब है कि लाजिस्टिक पार्क में बड़े-बड़े गोदाम, कोल्ड स्टोरेज जैसे भण्डार गृह बनेंगे, इसलिए आइआइडीसी ऐसी जगह की मांग कर रहा है, जो रेलवे स्टेशन और हाईवे के भी नजदीक हों।
लेदर फुटवियर पार्क को नहीं मिली जमीन
लेदर फुटवियर पार्क के लिए 100 हेक्टेयर जमीन चाहिए और अब तक जमीन मिली नहीं है। लेदर फुटवियर पार्क में कानपुर, दिल्ली, पंजाब और आगरा की नामी जूता, सेंडल, चप्पल बनाने वाली कंपनियों के प्लांट खुलवाए जाएंगे। लेदर फुटवियर पार्क में करीब 20 कंपनियों को लाने की योजना है, जो डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराएंगी।
पारले ने शुरू नहीं किया काम
देश की ख्यात कंपनी पारले एग्रो अपने सबसे बड़े कोल्ड ड्रिंक प्लांट को मुरैना में खोलने की योजना बना चुकी है। इसके लिए सीतापुर कारिडोर में 35 एकड़ जमीन पारले एग्रो ग्रुप को दी चुकी है। करीब 350 करोड़ की लागत से बनने वाले कोल्ड डिंक प्लांट में 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन फिलहाल समस्या यह है, कि जमीन मिले छह महीने से ज्यादा का समय हो गया और पारले एग्रो ने प्लांट के नाम पर एक ईंट तक नहीं लगाई।
फाइलों से बाहर नहीं आ रहा फर्नीचर क्लस्टर
फर्नीचर क्लस्टर में कई नामी कंपनियां भी निवेश करेंगी, इस कारण हजारों लोगों को रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। फर्नीचर क्लस्टर के लिए म.प्र. लघु उद्योग निगम के महाप्रबंधक बीएन तिवारी, वर्ल्ड सिख चेम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष डा. परमीत सिंह चड्ढा, टिम्बर मर्चेंट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष घनश्याम कुशवाह डेढ़ साल पहले रिठौरा के पास जमीन भी देख चुके हैं। फर्नीचर क्लस्टर में कम से कम 300 करोड़ रुपये का निवेश करवाने की प्लानिंग हैं, लेकिन यह योजना भी फाइलों से बाहर नहीं आ पाई है।
जायक्स व सात्विक कंपनी के प्लांट बनना शुरू
जिले के उद्योग विकास के लिए राहतभरी खबर यह है, कि सीतापुर कारिडोर में दो बड़ी कंपनियों के प्लांट बनने का काम शुरू हो गया है और इस साल के अंत तक इन प्लांट के शुरू होने की भी भरपूर संभावना है। सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र में दिल्ली की जायक्स कंपनी 150 करोड़ रुपये की लागत से इथेनाल प्लांट बना रही है, इसके लिए सीतापुर इंडस्ट्री एरिया के फेज दो में 25 एकड़ जमीन दी जा चुकी है। इस इथेनाल प्लांट से लगभग 150 लोगों को रोजगार मिलेगा।
दिल्ली की सात्विक एग्रो नाम की एक कंपनी सीतापुर इंडस्ट्री एरिया में लगभग 210 करोड़ रुपये की लागत से सोयाबीन व मक्का से प्रोटीन पाउडर बनाने की फैक्ट्री खोल रही है, इसका भी काम 30 फीसद से ज्यादा हो चुका है। 30 एकड़ जमीन में बनने वाले इस प्रोटीन प्लांट में 400 से ज्यादा लोगाें को रोजगार मिलना तय माना जा रहा है।
राजस्थान की मयूर यूनिकोटर्स कंपनी ने सीतापुर कारिडोर में अपनी फैक्ट्री शुरू कर दी है, इसमें वाहनों के सीट कवरों केनवास बनाए जाते हैं। करीब 50 करोड़ रुपये के निवेश की इस इकाई से 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने लगा है।
लाजिस्टिक पार्क के लिए जिला प्रशासन से जमीन मांगी थी, लेकिन अब तक हमें जमीन नही मिली इसलिए प्रोजेक्ट का काम रुका हुआ है।पारले को सीतापुर कारिडोर में जमीन दे चुके हैं, लेकिन उन्होंनें काम शुरू नहीं किया। जायक्स व सात्विक एग्रो के प्लांट का काम चल रहा है, जल्द यह दोनों प्लांट शुरू हो जाएंगे। -डीके श्रीवास्तव,
महाप्रबंधक, आइआइडीए, मुरैना-ग्वालियर
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