जबलपुर। मध्य प्रदेश के शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को मौके पर जाकर इलाज करने लगभग 400 से ज्यादा पशु एंबुलेंस चलाई गई। इनमें तैनात 400 से ज्यादा वेटरनरी डाक्टर और असि. वेटरनरी फील्ड आफिसर की नियुक्ति के दस्तावेजों की जांच होगी। इस संबंध में मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डा. आरके मेहिया ने आदेश जारी किया है। उन्होंने सभी जिलों में पशुपालन विभाग को निर्देशित किया है कि वे इनसे दस्तावेज लें और उसकी एक कापी राज्य चिकित्सा परिषद और वेटरनरी विवि को भेजें।
फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी का आरोप
दरअसल इस संबंध में नईदुनिया ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की, जिसमें यह बताया कि कई वेटरनरी डाक्टर पद पर उम्मीदवारों ने फर्जी डिग्री लगाकर पशु एंबुलेंस में वेटरनरी डाक्टर की नौकरी पा ली। इस खबर का असर यह हुआ कि पशुपालन विभाग को एंबुलेंस में तैनात सभी वेटरनरी डाक्टर और एवीएफओ के दस्तावेजों की जांच के आदेश दिए हैं।
टी एंड एम कंपनी ने की कराई जांच
पशुपालन विभाग की चलित पशु चिकित्सा ईकाई यानि संजीवनी वाहन योजना के संचालन का जिम्मेदारी भोपाल की निजी एजेंसी टी एंड एम को दिया। इस एजेंसी ने नियमों को दरकिनार करते हुए 400 से ज्यादा वेटरनरी डाक्टर और एवीएफओ यानि असि. वेटरनरी फील्ड आफिसर के दस्तावेजों की जांच किए बिना ही तैनात कर दिया। इसका असर यह हुआ कि इसमें कईयों ने बैचलर आफ वेटरनरी साइंस की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी पाई ली। कई ने डिप्लोमा की अंकसूची भी नकली लगाई। इधर नईदुनिया की खबर प्रकाशित होने के बाद वीसीआइ अध्यक्ष ने इस पर अपत्ति की।
दस्तावेज लें और जांच करें
पशुपालन विभाग ने सभी जिलों के पशुपालन अधिकारी, वेटरनरी विवि और राज्य पशु चिकित्सा परिषद काे पत्र प्रेषित किया है। जहां विभाग को निजी कंपनी टी एंड एम कंपनी के जरिए भर्ती किए गए सभी 400 से ज्यादा वेटरनरी डाक्टर, एवीएफओ और ड्राइवर के दस्तावेजों की जांच करने कहा है। वहीं इन दस्तावेजों की कापी राज्य पशु चिकित्सा परिषद और वेटरनरी विवि भेजकर इनकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक निजी कंपनी पर वेटरनरी डाक्टर और एवीएफओ की भर्ती करने के नाम पर पैसे लेने का भी अारोप लगा है, जिसकी अभी तक पशुपालन विभाग ने जांच नहीं कराई है।
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