हिंदू धर्म में जहां सावन माह का विशेष महत्व है। सावन मास में हर सोमवार को जहां भक्त बाबा भोलेनाथ की आराधना करते हैं, वहीं दूसरी ओर सावन महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि को भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावन माह में देवी-देवताओं की उपासना करने से मनोकामना पूरी होती है। इस साल सावन मास 59 दिनों का होने के कारण दो अमावस्या तिथि और दो पूर्णिमा तिथि पड़ रही है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस बार सावन पूर्णिमा पर दो खास संयोग बन रहे हैं, जो शुभ फल देंगे। जानें हिंदू धर्म में क्या है सावन पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
कब मनाई जाएगी सावन पूर्णिमा
इसलिए रखते हैं सावन अधिक पूर्णिमा व्रत
सावन अधिक पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, श्रावण पूर्णिमा तिथि के दिन दो शुभ संयोग निर्मित हो रहे हैं। पहला शुभ योग है प्रीति योग और दूसरा आयुष्मान योग। साथ ही, उत्तराषाढ़ नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसार, प्रीति योग रात्रि 08.23 मिनट तक रहेगा और इसके तत्काल बाद आयुष्मान योग शुरू हो जाएगा। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शाम 05.33 मिनट तक रहेगा।
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