उमरिया। ट्रायबल आर्टिसन इम्पैनलमेंट मेले में जिले की आदिवासी कला और कलाकृतियां उभरकर सामने आई हैं। इस मेले में शामिल सैंकड़ों लोगों में 47 आदिवासी कलाकरों की व्यक्तिगत कलाकृतियों और उत्पादों का चयन किया गया है। इतना ही नहीं जिले के तीन वन धन केन्द्र और एक स्वयं सहायता समूह का भी चयन किया गया है। इस तरह आधा सैंकड़ा से ज्यादा आदिवासियों की कलाकृति और उत्पाद सलेक्ट किए गए हैं। अब इन आदिवासी कलाकृतियों और उत्पादों का प्रदर्शन दिल्ली में होगा।
दिल्ली से आए ट्राईफेड के लोगों ने इन सभी कलाकृतियों का बारिकी से अवलोकन किया
ट्रायबल आर्टिसन इम्पैनलमेंट मेले में बैगा आर्ट, पेटिंग आर्ट, पेपर मेसी पेंटिग, महुआ उत्पाद, मोटे अनाज, कोदो कुटकी से बनी खाद्य सामग्री, छींदी से बनी कलाकृतियां, लौकी, तरोई पर बनी कलाकृतियां, बांस एवं काष्ठ से बने शिल्प प्रदर्शित किए गए थे, जिनका चयन किया गया है। दिल्ली से आए ट्राईफेड के लोगों ने इन सभी कलाकृतियों का बारिकी से अवलोकन किया और इस आपसी मंत्रणा के बाद इनका चयन किया।
ट्राईफेड दिल्ली की टीम ने किया चयन, उपलब्ध कराया जाएगा बाजार
सीईओ इला तिवारी ने बताया कि जन जातीय शिल्पियों को आपूर्तिकर्ता के रूप में ट्राईफेड के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है। सरकार भी जन जातीय समाज द्वारा बनाई जाने वाली कलाकृतियों के निर्माण में और अधिक दक्षता लाने के लिए वन धन योजना, ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से कौशल उन्नयन प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रही है। अधिक से अधिक ग्रामीण कलाकारों को जोड़कर उनके उत्पाद तैयार कराकर विभिन्न माध्यमों से विक्रय की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए आदिवासी अंचलों में ट्राईफेड द्वारा ट्रायवल आर्टिजन मेला लगाए जा रहे है।
समर्थन मूल्य तय
दिल्ली से आए संजय कठिया ने बताया कि ट्राईफेड कार्पाेटिव संस्था है, जो आदिवासियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के सेंपल लेकर बाजार में विक्रय की व्यवस्था कराता है। प्रदेश सरकार की मदद से 87 उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। इस पहल से आदिवासी संस्कृति का प्रचार प्रसार होगा साथ ही आदिवासी समाज के लोगों को आजीविका के नये अवसर भी मिलेगे। संजय कठिया ने बताया कि प्रदेश में उमरिया जिले की कलाकृतियां और उत्पाद अभी तक सबसे बेहतर पाए गए हैं।
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