मुरैना। शिक्षक भर्ती में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों की भरमार के बाद अब उन शिक्षकों की भी जांच हो रही है, जिन्होंने अप्रैल महीने में दिव्यांग कोटे से नौकरी पाई है। ऐसे 22 दिव्यांग शिक्षकों को जांच के लिए मंगलवार को कलेक्टोरेट में बुलाया। संयुक्त कलेक्टर आरपी नाडिया की अध्यक्षता वाली टीम जिसमें डीईओ एके पाठक, डा. संजीव बांदिल, डा. महेश शर्मा थे, उन्होंने दिव्यांग शिक्षकों की जांच की।
जांच के लिए बुलाए गए 22 दिव्यांग शिक्षकों में से दो पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं और चार ऐसे हैं, जिनके दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी बताते हुए इन्हें बर्खास्त भी कर, एफआइआर हो चुकी है। यानी 16 दिव्यांग शिक्षकों को आना था, लेकिन जांच अफसरों को हैरानी तब हुई, जब 17 दिव्यांग शिक्षक जांच कराने आ गए।
दरअसल, जिन चार शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी बताते हुए पूर्व में ही एफआइआर एवं बर्खास्गी की कार्रवाई हो चुकी है, उनमें से एक महिला अभ्यथी जांच टीम के सामने पहुंची और खुद को दिव्यांग बताते हुए अपने प्रमाण पत्र को सौ फीसद सही बताया। डाक्टरों की टीम ने पहले तो दिव्यांगता की जांच की, फिर प्रशासनिक टीम ने इनके दिव्यांग प्रमाण पत्र भी जांच के लिए रख लिए हैं। जांच कराने आए दिव्यांग शिक्षकों में से अधिकांश ने खुलकर कहा, कि फर्जियों के कारण उन्हें बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है, नौकरी लगे तीन महीने हो गए, लेकिन अब तक वेतन तक नहीं मिला।
यह दिव्यांग शिक्षक आए जांच कराने
रेनू पुत्र तोताराम उ.मा. स्कूल सेंथरा बढ़ई में पदस्थ, मुकेश शर्मा पुत्र प्रीतम सिंह शर्मा उत्कृष्ट स्कूल पोरसा, मानसिंह पुत्र दलवीर सिंह प्राइमरी स्कूल रोसे का पुरा, पंकज पुत्र निरंजन सिंह प्राइमरी स्कूल नगरा पाेरसा, राहुल पुत्र प्रमोद शर्मा प्राइमरी स्कूल कीचोल, सत्यभान पुत्र सरनाम सिंह प्राइमरी स्कूल फूलपुर, मुकेश कुशवाह पुत्र पीतम कुशवाह उत्कृष्ट स्कूल मुरैना, श्यामसुंदर पुत्र सरमन लाल शर्मा प्राइमरी स्कूल जौनारा, उजाला वर्मा पुत्री रजकुमार वर्मा प्राइमरी स्कूल शीतल का पुरा, सतीश कुमार पुत्र रामबाबू सिंह प्राइमरी स्कूल परदू का पुरा, सतेंद्र सिंह पुत्र रामनिवास माडल स्कूल जौरा, जूली पुत्री रामलक्षिन सिंह परिहार प्राइमरी स्कूल तरैनी, निशा पुत्री नरोत्तम त्यागी प्राइमरी स्कूल हरिजन बस्ती जौरा, उमेश पुत्र जनार्दन शुक्ला प्राइमरी स्कूल बर्रेड, गजेंद्र पुत्र दुर्गाप्रसाद शर्मा प्राइमरी स्कूल खेरिया जौरा, मनीषा पुत्री चंद्रपाल रावत प्राइमरी स्कूल नंद का पुरा और ललिता पुत्री हेमसिंह मीणा प्राइमरी स्कूल निठारा (जो 77 फर्जी दिव्यांगों की सूची में है, नियुक्ति निरस्त व एफआइआर भी दर्ज है) जांच के लिए पहुंचे।
दो नौकरी छोड़ चुके, चार पहले की बर्खास्त
जिन 22 दिव्यांग शिक्षकों के प्रमाण पत्रों व दिव्यांगता की जांच की गई, उनमें से छह तो ऐसे हैं तो पहले ही नौकरी से बाहर हो चुके हैं। इनमें से रूपा का तोर प्राइमरी स्कूल में पदस्थ विंतेश पुत्री प्रेमसिंह रावत और मढ़ेवा प्राइमरी स्कूल में पदस्थ विकास पुत्र लज्जाराम रावत 7 जुलाई को ही नौक्री से इस्तीफा दे चुके हैं।
इसके अलावा कैलारस अयोध्या बस्ती प्राइमरी स्कूल में पदस्थ सौम्या पुत्री नरेश नारायण शर्मा, डोंगरपुर प्राइमरी स्कूल में पदस्थ निधि पुत्री दिनेश शर्मा, निठारा प्राइमरी स्कूल में पदस्थ ललिता पुत्री हेमसिंह मीणा के दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी होने के कारण इन्हें पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारी एके पाठक बर्खास्त चुके हैं।
इसी तरह मिडिल स्कूल धर्मगढ़ में पदस्थ नीलम पुत्री रामनिवास शर्मा को फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के कारण संयुक्त संचालक शिक्षा ने बर्खास्त किया था। इन चारों के नाम 77 फर्जी दिव्यांगों पर हुई एफआइआर में भी हैं, फिर भी 22 दिव्यांग शिक्षकों की जांच वाली सूची में इनके नाम शामिल होना, आश्चर्य का विषय है। इस मामले में डीईओ पाठक का कहना है, कि यह सूची शिक्षा विभाग से ही आई है।
एक बार भी नहीं मिला वेतन, मांगी जा रही रिश्वत
शिक्षक भर्ती में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों के कारण असली दिव्यांग शिक्षकों की फजीहत ऐसी हो रही है, कि उन्हें नौकरी मिलने के बाद एक बार भी वेतन नहीं दिया गया। अधिकांश दिव्यांग शिक्षक एक से दस अप्रैल के बीच पदस्थ हुए हैं, लेकिन उन्हें तीन महीने में से एक बार भी वेतन नहीं मिला। वेतन के लिए जो यूनिक कोड बनता है, वह भी अधिकांश दिव्यांग शिक्षकों का अब तक नहीं बनाया गया। दिव्यांग शिक्षक मुकेश कुमार ने आरोप लगाए, कि यूनिक कोड बनाने व वेतन निकालने के नाम पर भी उनसे पैसों की मांग हो रही है, अकारण ही परेशान किया जा रहा है।
मेडिकल बोर्ड से जांच कराने की कहा, हुई नहीं
शिक्षक भर्ती में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों का मामला आने के बाद लोक शिक्षक संचालनालय की आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने 24 अप्रैल को मुरैना कलेक्टर को पत्र लिखकर दिव्यांग कोटे से भर्ती हुए शिक्षकों की जांच कराने को कहा था।इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने सीएमएचओ व सिविल सर्जन को पत्र लिखकर दिव्यांग कोटे से चयनित शिक्षकों की जांच मेडिकल बोर्ड से करवाने को कहा था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसे अब तक गंभीरता से नहीं हुई। अब केवल इनके प्रमाण पत्राें की जांच होगी, कि यह असली हैं या फर्जी।
मैं पहले बैतूल में वर्ग एक का शिक्षक था, इस परीक्षा में वर्ग दो में चयन हुआ और पोरसा उत्कृष्ट स्कूल में पदस्थापना मिली, लेकिन यहां फर्जी दिव्यांगों के कारण मेरे जैसे कई असली दिव्यांगों की फजीहत हो गई है। मेरा यूनिक कोड बैतूल से ही यहां ट्रांसफर हुआ, फिर भी तीन महीने से वेतन नहीं मिला। – मुकेश कुमार, दिव्यांग शिक्षक
दिव्यांग कोटे से भर्तियों में खूब फर्जीवाड़ा है, फर्जी दिव्यांगों ने असल, बेवश दिव्यांगों का हक मारा है।इस फर्जीवाड़े में जो शामिल है उस हर व्यक्ति पर कर्रवाई होनी चाहिए। अगर फर्जीवाड़ा नहीं होता तो मेरा चयन आसानी से वर्ग दो में हो जाता, फर्जी दिव्यांगों की भरमार के कारण वर्ग तीन में चयन हो पाया है। – पंकज सिंह नरवरिया, दिव्यांग शिक्षक
2006 से नौकरी के लिए परीक्षाएं दे रहा हूं, तभी से देख रहा हूं कि दिव्यांग कोटे में जिन्हें नौकरी मिलती थी उनमें से अधिकांश दिव्यांग होते ही नहीं थे, यह फर्जीवाड़ा कई साल से चल रहा है, हर विभाग की नौकरी में चल रहा है। अब की नहीं कम से कम 20-25 साल में हुई भर्तियों में दिव्यांग कोटे से दी गई नौकरियों की जांच होनी चाहिए। – मुकेश कुशवाह, दिव्यांग शिक्षक
जांच के लिए 17 दिव्यांग शिक्षक आए हैं, इनमें ललिता पुत्री हेमसिंह मीणा भी है, जिसके दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी होने के कारण पूर्व में ही नियुक्ति निरस्त कर बर्खास्त किया जा चुका है और इसके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज हैं, चूंकि इसका नाम लिस्ट में था, इसलिए जांच के लिए कागजात ले लिए गए हैं। 17 दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच अस्पताल के रिकार्ड से मिलानकर होगी, उसके बाद ही परिणाम सामने आएगा। – एके पाठक, जिला शिक्षा अधिकारी
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