फेक वेबसाइट बनाकर धोखाधड़ी में वृद्धि हुई है। डिजिटल रिस्क ट्रेंड्स 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक फर्जी वेबसाइटों की संख्या हर वर्ष 304% बढ़ रही है। साथ ही ऐसी वेबसाइटों के माध्यम से फ्रॉड के प्रकारों में भी बढ़ोतरी हुई है।
फर्जी वेबसाइटों को लेकर स्थिति क्या है?
ग्रुप आईबी ने हाल ही में डिजिटल रिस्क ट्रेंड 2023 रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, संगठनों या कंपनियों के नाम पर फेक वेबसाइट बनाने के मामलों में 304% की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा फिशिंग और धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वेबसाइटों में 62% की वृद्धि हुई है। कंपनियों के नाम पर बनाई गई फर्जी वेबसाइटों की संख्या 2022 में 162% बढ़ गई।
फेक वेबसाइटों का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
साइबर फ्रॉड के लिए नकली वेबसाइटों का इस्तेमाल किया जाता है। फिशिंग धोखाधड़ी का एक पुराना रूप है। समय के साथ अपराधियों ने अपने काम करने के तरीके में बदलाव किए हैं। टेलीफोन के जरिए ठगी कपने वाले जालसाज फर्जी लिंक भेजकर लोगों को चूना लगे रहे हैं। इसके अलावा बेरोजगार युवाओं को नौकरी का लालच देकर ठगा जा रहा है।
साइबर धोखाधड़ी के मामले में क्या करें?
साइबर अपराधी फोन कॉल करके लोगों के बैंक अकाउंट की जानकारी मांगते है। ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए साइबर पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर 1930 लॉन्च किया। इस हेल्पलाइन के जरिए पुलिस एक करोड़ से ज्यादा की रकम धोखाधड़ी से बचाने में सफल रही है।
यह ईमेल फिशिंग, ऑनलाइन जॉब फ्रॉड, केवाईसी अपडेट, ओटीपी और सेक्सटॉर्शन जैसे किसी भी धोखाधड़ी के मामलों में लूटी गई रकम है। इस साल साइबर अपराधियों द्वारा लूटे गए पैसों को साइबर पुलिस ने फ्रीज कर दिया। स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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