चाइल्ड पोर्नोग्राफी में पहली बार किशोर को सजा इंस्टा आइडी से अपलोड किए थे बच्चों के अश्लील कंटेंट

 ग्वालियर। चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में पहली बार बाल अपचारी को सजा सुनाई गई है। ग्वालियर निवासी 17 वर्षीय किशोर पर राज्य सायबर पुलिस ने एफआइआर की थी। उसने फेक इंस्टाग्राम आइडी बनाकर बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट अपलोड कर बहुप्रसारित किए थे।

किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपित किशोर को चेतावनी, भर्त्सना और एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। राज्य सायबर पुलिस ने एआइ टूल्स से प्राप्त डाटा का विश्लेषण कर साक्ष्य एकत्रित कर चालान पेश किया था, जिससे आरोपित को सजा सुनाई गई।

समझिए क्या है मामला

गृह मंत्रालय के सायबर क्राइम पोर्टल के जरिए चाइल्ड पोर्नोग्राफी की पड़ताल के लिए सायबर टिपलाइन की व्यवस्था शुरू की गई है। इस पर सायबर टिपलाइन रिपोर्ट के अनुसार 30 सितंबर 2020 को राज्य साइबर सेल की ग्वालियर इकाई को शिकायत मिली थी।

राज्य सायबर सेल की टीम ने पड़ताल की। एआइ टूल्स से जो डाटा मिला था। उसकी पड़ताल की गई। इसमें जिस इंस्टाग्राम आइडी से अश्लील कंटेंट अपलोड हुए थे, इसे टिपलाइन पोर्टल से ट्रैक किया गया। यह आइडी ग्वालियर की निकली। राज्य सायबर सेल आरोपित तक पहुंची तो वह 17 वर्षीय किशोर निकला। 2022 में राज्य साइबर सेल ने 67बी आइटी एक्ट में एफआइआर दर्ज की थी।

अमेरीकी एजेंसी की सहायता से इकठ्ठा किया डाटा

चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने गृह मंत्रालय द्वारा एआइ टूल्स के माध्यम से चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री अपलोड या शेयर करने वाले यूजर का आइपी एड्रेस व अन्य डाटा इकठ्ठा किया जाता है। यह डाटा अमेरीकी संस्था एनसीएमइसी यानी नेशनल सेंटर फार मिसिंग एंड एक्सप्लाइटेड चिल्ड्रन की सहायता से इकठ्ठा किया जाता है। मध्यप्रदेश में ऐसे 3.32 लाख लोगों का डाटा इकट्ठा किया है।

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