प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई यात्रा के दौरान, भारत के आयात-निर्यात और भुगतान से संबंधित दो अहम समझौते हुए हैं। दोनों देश अब स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने पर सहमत हो गए हैं। इससे जहां रुपया मजबूत होगा, वहीं आपसी कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी। बता दें कि पीएम मोदी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि विदेशी व्यापार में भारतीय मुद्रा का चलन बढ़े। शनिवार को यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के साथ चर्चा के दौरान कई द्विपक्षीय मसलों पर बातचीत हुई, जिनमें से एक दोनों देशों का स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने पर सहमत होना है।
लोकल करेंसी में व्यापार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के प्रेसिडेंट शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान की मौजूदगी में भारत और यूएई ने स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। रिजर्व बैंक ने एक आधिकारिक बयान में इसे लेकर हुए समझौते की जानकारी दी। रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम में क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए यूएई के सेंट्रल बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। अपनी मुद्रा में ट्रेड सेटलमेंट की व्यवस्था होने से ना सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा बल्कि दोनों देशों में निवेश का आधार भी मजबूत होगा।
क्या होगा फायदा?
रिजर्व बैंक के मुताबिक इसके दायरे में सभी करेंट अकाउंट ट्रांजेक्शन और स्वीकृत कैपिटल अकाउंट ट्रांजेक्शन हैं। आपसी लेन-देन में स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल होने से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि भुगतान की प्रक्रिया आसान व तेज हो जाएगी। इससे व्यापार के भुगतान की लागत में कमी आएगी और दोनों देशों में आपसी निवेश में वृद्धि होगी। इससे रुपया-दिरहम विनिमय बाजार भी विकसित होगा। बता दें कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच अभी 85 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है। इसके बहुत जल्द 100 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है।
यूपीआई से इंटरलिंक
इसके अलावा दोनों सेंट्रल बैंकों के बीच पेमेंट व मैसेजिंग सिस्टम को इंटरलिंक करने पर भी समझौता हुआ है। इसके तहत तेजी से भुगतान का निपटान करने के लिए यूपीआई और आईपीपी को लिंक किया जाएगा। साथ ही दोनों देशों के घरेलू कार्ड स्विचेज यानी रूपे स्विच और यूएई स्विच को भी लिंक करने का प्रस्ताव है। इस समझौते से उन भारतीयों को बहुत फायदा होगा, जो यूएई में रह रहे हैं और वहां से अपनी कमाई के पैसे भारत भेज रहे हैं।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.