हड़ताल के कारण सरकारी अस्पताल ने गर्भवती का इलाज करने से किया मना

इंदौर । नर्सिंग अधिकारियों की हड़ताल को चार दिन बीत चुके हैं। इसके कारण सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं दम तोड़ने लगी है। पीसी सेठी व बाणगंगा के सरकारी अस्पतालों में गर्भवती और प्रसूताएं परेशान हो रही हैं। भंवरकुआं क्षेत्र में पीपल्याराव में रहने वाली गर्भवती आशा सोलंकी को गर्भाशय से पानी बहने लगा, इस पर परिवार के सदस्य सरकारी पीसी सेठी अस्पताल में 10 जुलाई को शाम 6 बजे लेकर गए थे। उनकी हालत काफी गंभीर थी, लेकिन नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण वहां पर उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया।

गर्भवती आशा को पीसी सेठी अस्पताल प्रबंधन ने निजी लैब में सोनोग्राफी के लिए भेजा, जिसके लिए 2800 रुपये का शुल्क देना पड़ा। सोनोग्राफी में पता चला कि गर्भ में पानी पूरी तरह खत्म हो चुका है और सर्जरी करना जरूरी है। ऐसे में मजबूर परिवार गर्भवती को लेकर खंडवा रोड स्थित निजी अस्पताल पहुंचा। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि बच्चे की जान पर बन आई थी। आशा के पति सौरभ सोलंकी ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि सरकारी पीसी सेठी अस्पताल में निशुल्क प्रसव हो जाएगा, लेकिन हड़ताल के कारण उन्हें निजी अस्पताल में पत्नी को ले जाना पड़ा। ब्याज पर 30 हजार रुपये लेकर उन्होंने निजी अस्पताल मे अपनी पत्नी की डिलीवरी करवाई।

स्टाफ की कमी के कारण आपरेशन बंद, सामान्य डिलीवरी में भी आई कमी

नर्सिंग स्टाफ की हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाली प्रसूताओं को निजी व दूसरे अस्पतालों के चक्कर काटना पड़ रहे हैं। नर्सिंग स्टाफ के न होने के कारण इन अस्पतालों में सामान्य व आपरेशन वाले प्रसव में भी कमी आ गई है। बाणगंगा अस्पताल में ओटी का स्टाफ न होने के कारण आपरेशन बंद ही हो गए है। स्वास्थ्य विभाग नर्सिंग हड़ताल के दौरान भी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं संभालने का दावा भले करे, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों व प्रसूताओं को उपचार भी ठीक तरीके से नहीं मिल पा रहा है।

50 फीसद ही हो रही डिलीवरी

सरकारी पीसी सेठी अस्पताल में एक वार्ड में एक शिफ्ट में चार नर्स होती थी। वहीं अब एक शिफ्ट में एक नर्स काम कर रही है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा लैबर रूम के लिए भी छह नर्सों की मांग की गई है, लेकिन उन्हें उपलब्ध नहीं हो सकी है। नर्सों की कमी के कारण पहले जहां अस्पताल में प्रतिदिन 25 से 27 डिलीवरी होती थी, वहीं अब सिर्फ 11 हो रही है। जहां 8-10 प्रसव आपरेशन से होते थे, वहीं अब सिर्फ चार हो रहे हैं। व्यवस्था के नाम पर आठ-आठ नर्सिंग स्टूडेंट्स के समूह दोपहर में ड्यूटी कर रहे हैं। नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण रात में अस्पताल में परेशानी बढ़ रही है।

18 नर्सिंग स्टाफ की जरूरत, लेकिन स्टाफ नहीं मिला

हमने छह लेबर रूम और 12 वार्ड के नर्सिंग स्टाफ की मांग की है, लेकिन स्टाफ नहीं मिलने से डिलीवरी के केस में परेशानी आ रही है। ऐसे में हम कई प्रसूताओं को एमटीएच या निजी अस्पताल रैफर कर रहे हैं। – डा. निखिल ओझा, प्रभारी पीसी सेठी अस्पताल

सिजेरियन डिलीवरी नहीं कर पा रहे

अभी हमारे अस्पताल में तीन से चार सामान्य प्रसूति हो रही है। लेबर रूम का स्टाफ नहीं होने से सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो पा रही हैं। हमने नर्सिंग स्टाफ की मांग की है। – डा. सुनीता यादव, प्रभारी बाणगंगा अस्पताल

नर्सो की संख्या बढ़ा रहे

एलएंडसीटी की 20 नर्सिंग स्टाफ को हमने जिला अस्पताल व 10 को मल्हारगंज अस्पताल में पहुंचाया है। पीसी सेठी व बाणगंगा में एएनएम के माध्यम से डिलीवरी करवाई जा रही है। जरूरत पड़ने पर हम अरबिंदो अस्पताल से भी नर्सिंग स्टाफ को बुलाएंगे। अभी नर्सिंग स्टाफ की सरकारी अस्पतालों में कमी नहीं है। यह जरूर है कि डिलीवरी के केस में कुछ कमी आई है। यदि कोई मरीज या प्रसूता अपनी मर्जी से निजी अस्पताल जाता है तो हम क्या कर सकते है। – डा. बीएस सैत्या, सीएमएचओ

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