कोरबा। खदान प्रभावित ग्राम मलगांव के ग्रामीणों ने मुआवजा, रोजगार, बसाहट समेत अन्य मुद्दों को लेकर दीपका में 12 घंटे से अधिक देर तक काम बंद करा दिया। प्रबंधन ने समझाइश देने का प्रयास किया, पर ग्रामीणों का कहना था कि जब तक मुआवजा नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा और खदान में उत्खनन कार्य नहीं होने दिया जाएगा।
साउथ ईस्टर्न कोलफिल्डस लिमिटेड (एसईसीएल) की दीपका खदान में ग्राम मलगांव की भूमि समाहित हुई है। प्रबंधन द्वारा जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है। छह माह पहले दिनों मकान, बाड़ी समेत अन्य जमीन का मुआवजा निर्धारण कर लिया, पर उक्त राशि का भी भुगतान नहीं किया। खदान का काम गांव के समीप तक पहुंच चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार खदान में ब्लास्टिंग होेने से पत्थर उछल कर घर के उपर आ गिरता है। प्रबंधन से मुआवजा व बसाहट देेने की मांग कर रहे हैं, पर प्रबंधन उनकी बात नहीं सुन रही है। इसी तरह खदान में नियोजित ठेका कंपनी द्वारा बाहरी लोगों को लाकर काम पर रखा गया है।
खदान प्रभावित स्थानीय युवक बेरोजगार घूम रहे हैं। 11 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर एक माह पहले ग्राम मलगांव में सभी ग्रामीणों के साथ विधायक पुरुषोत्तम कंवर, राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के जिलाध्यक्ष श्यामू खुशाल जायसवाल, समाजसेवी मनीराम भारती ने एसईसीएल दीपका प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा था। तब प्रबंधन ने एक माह का वक्त मांगा, पर निर्धारित समय बीतने के बाद भी समस्या का निदान नहीं किया गया। इससे नाराज ग्रामीणों ने विधायक पुरूषोत्तम कंवर व इंटक जिलाध्यक्ष श्यामू जायसवाल के साथ खदान में काम बंद करा दिया। इस बीच प्रबंधन ने आंदोलकारियों से चर्चा कर समस्या का निदान नहीं हो जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही खदान में काम शुरू नहीं करने दिया जा रहा है।
सरपंच धनकुंवर का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन जल्द मकान, बाड़ी का किए मूल्यांकन का भुगतान किया जाए। विधायक कंवर ने कहा कि प्रबंधन द्वारा केवल टालमटोल की नीति अख्तियार की जा रही है। प्रभावितों को मुआवजा, बसाहट व नौकरी प्रदान करें, ताकि खदान में काम करने दिया जा सके। इंटक जिलाध्यक्ष श्यामू जायसवाल ने कहा कि खदान में कलिंगा ठेका कंपनी को कार्य सौंपा गया और कंपनी द्वारा स्थानीय बेरोजगार युवकों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है, बल्कि बाहर से मजदूर लाकर काम पर रखे हैं। नियमत: 60 प्रतिशत खदान प्रभावित स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाना है, पर दीपका खदान में नियोजित ठेका कंपनियों द्वारा इसका पालन नहीं किया रहा है।
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