गुप्तेश्वर पहाड़ी की तलहटी में है प्राचीन चकलेश्वर महादेव मंदिर

 गुप्तेश्वर पहाड़ी की तलहटी में स्थित चकलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के चारों तरफ मन को आनंदित करने वाला दृश्य है। चारों तरफ हरियाली के बीच चकलेश्वर महादेव विराजमान हैं। तिघरा हाइवे पर स्थित शहर से मात्र से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चकलेश्वर मंदिर पर बारिश के मौसम में शहरवासी व सामाजिक संगठन पिकनिक मनाने बड़ी संख्या में जाते हैं। श्रवण मास में चकलेश्वर मंदिर पर पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। सावन के सोमवार में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। महाशिवरात्रि का पर्व भी चकलेश्वर मंदिर पर धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

मंदिर का इतिहास

चकलेश्वर मंदिर के साथ भी कई किदवंतियां जुड़ी हैं। लोगों की मान्यता है कि यह मंदिर प्राचीन हैं, और यहां स्थापित शिवलिंग धरती से प्रकट हुआ था। मंदिर से पहले यह एक किसान भोला की बगीची थी। खुदाई के दौरान शिवलिंग प्रकट हुआ था। लोगों ने साधारण पत्थर समझकर उसे एक साइड कर दिया। एक किसान को सपना आया, उसके बाद मलबे में उसकी शिवलिंग की खोज हुई, और शिवलिंग मिलने पर उसी स्थान पर स्थापित कर दिया और लोग शिवलिंग की पूजा अर्चना करने लगे। मंदिर में ही एक मीठे पानी का कुआं है। मंदिर के आसपास के लोग पानी लेने के लिए यहां तक आते थे।

मंदिर की विशेषता

चकलेश्वर मंदिर पर जनसहयोग से निरंतर निर्माण कार्य चल रहा है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं। बाहर भोले नाथ की प्रतिमा उनके वाहन नंदी के साथ हैं। इसके साथ ही मंदिर में राधा-कृष्ण, बालाजी के रूप में पवन पुत्र हनुमान व माता सरस्वती की मूर्ति विराजित हैं। यहां पिकनिक मनाने की समूचित व्यवस्था है।

क्या कहते हैं लोग

– गोल पहाड़िया निवासी भगवान दास पाल ने बताया कि तिघरा रोड पर विराजमान चकलेश्वर महादेव चमत्कारी है, और भक्त की पुकार सुनते हैं। यहां श्रद्धाभाव के साथ आने वाली श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण होती है। चकलेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

– मधू भार्गव ने बताया कि चकलेश्वर महादेव मंदिर पर स्थानीय नागरिकों की अटूट श्रद्धा और विश्वास है। क्योंकि भोले नाथ सबकी सुनते हैं और सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। देवाधिदेव महादेव के भक्त यहां दर्शन करने के लिए अवश्य आते हैं।

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