देवास। घर से कहकर गए थे कि चार धाम यात्रा कर लौटेंगे। गंगाजी का जल और प्रसाद लाएंगे, पर किसे पता था कि घरवाले जिसके स्वागत की तैयारी कर रहे थे, वह आंखों में आंसू दे जाएगा। जिसे गले से लगाने को माता-पिता व्याकुल थे, उसे अंतिम यात्रा पर ले जाएंगे। दोस्तों की आंखें नम हैं और बांहें सूनी हैं। स्वजनों के गले रूंधे हुए हैं। परिवार और दोस्त ही नहीं, शहर भी उत्तराखंड हादसे में अपने को खोने वालों के शोक में डूबा है।
पहाड़ से वाहन पर गिरे थे पत्थर
बता दें कि चारधाम तीर्थ यात्रा के लिए उत्तराखंड गए देवास और शिप्रा 8 युवक हादसे का शिकार हो गए। सोमवार रात को गंगोत्री से भटवाड़ी की ओर जाते समय उनका वाहन पहाड़ से गिरे पत्थरों की चपेट में आया, जिसमें अंशुल मंडलोई (23) देवास और योगेंद्र सोलंकी (23) शिप्रा की दर्दनाक मृत्यु हो गई।
उमंग सोलंकी व अभिषेक सोलंकी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। अंशुल नवगोत्री को भी चोट आई है। वार्ड 41 के पार्षद प्रतिनिधि अजय पड़ियार ने बताया कि 29 जून को टवेरा एमपी 13 बीए 1876 से अंशुल मंडलोई, योगेंद्र सोलंकी, अभिषेक सोलंकी, उमंग सोलंकी, अंशुल नवगोत्री, आनंद, आदित्य बारोड़, अंकुश सोलंकी अमरनाथ गए थे।
वहां दर्शन के बाद उत्तराखंड पहुंचे थे। गंगोत्री दर्शन के बाद सोमवार को सभी लौट रहे थे। इसी दौरान गंगोत्री से भटवाड़ी मार्ग पर वाहन पर पहाड़ से पत्थर गिर गए। कुछ लोग तो गेट खोलकर भागे, पर अंशुल मंडलोई और योगेंद्र सोलंकी अंदर ही फंस गए। इसके बाद और पत्थर गिरे, जिस कारण दबने से दोनों की मौत हो गई।
पहली बार गए थे दोनों
पड़ियार ने बताया कि अंशुल और योगेंद्र पहली बार ही उत्तराखंड गए थे। आदित्य और अंशुल नवगोत्री पिछले साल होकर आए थे। अंशुल मंडलोई का परिवार मूल रूप से तराना जिला उज्जैन का है। करीब 15 साल पहले देवास में आकर बसे। पिता टेलरिंग का काम करते हैं। घर में छोटी बहन और माता-पिता है। अंशुल मंडलोई इकलौता लड़का था। वह प्राइवेट नौकरी करता था। योगेंद्र भी घर का इकलौता लड़का था।
स्वजन से कहा- केदारनाथ जा रहे हैं
बताया जा रहा है कि सभी दोस्त यमुनोत्री दर्शन करके आए थे। इंस्टाग्राम पर पूरी यात्रा के फोटो और रील्स भी शेयर कर रहे थे। यमुनोत्री के बाद गंगोत्री पहुंचे। गंगोत्री से निकलने के बाद सभी की स्वजन से बात हुई थी। कहा था कि वे अब केदारनाथ जा रहे हैं, पर रास्ते में हादसा हो गया। इसकी खबर सोमवार रात को स्वजन को मिल गई और वे उत्तराखंड के लिए रवाना हुए।
प्यार से सभी उन्हें योगी बुलाते थे
मृतक योगेंद्र के दोस्तों के मुताबिक उसे प्यार से योगी कहते थे। कुछ समय पहले ही शिप्रा क्षेत्र में एक लैब खोली थी। दोस्तों के साथ वैष्णो देवी की यात्रा करने गया था। केदारनाथ दर्शन की चाह थी, पर किसे पता था कि यह अंतिम यात्रा होगी। सोलंकी के मित्रों एवं स्वजनों ने सांवेर विधायक तुलसी सिलावट से योगेंद्र सिंह सोलंकी की पत्नी को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की है।
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