टमाटर भोपाल व आसपास के जिलों से नहीं आ रहा बढ़ते दामों की नहीं थम रही रफ्तार

भोपाल। राजधानी व आसपास के जिलों में टमाटर की पैदावार नहीं हो रही है। वर्षा में टमाटर की फसल नहीं होने से अधिकतर टमाटर कर्नाटक, आंध्रप्रदेश से आयात हो रहा है। मप्र में एक वर्ष में टमाटर की पैदावार दो लाख 97 हजार टन होती है। देश की कुल पैदावार में मप्र का 14.63 प्रतिशत हिस्सा है। गर्मी के बाद से वर्षा में इनदिनों टमाटर की फसल नहीं हो रही है। शहर में टमाटर की खपत 400 टन है और 100 टन ही करोंद मंडी तक टमाटर आ रहा है। आवक कम होने से टमाटर की दाम बढ़ते जा रहे हैं।

इन दिनों टमाटर 120 से 140 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से फुटकर में बिक रहा है। टमाटर के थोक व फुटकर विक्रेताओं का कहना है कि सिर्फ आवक कम होना ही महंगे होते टमाटर का मुख्य कारण हैं। आगामी डेढ़ महीने तक स्थानीय नई फसल आने पर ही टमाटर सस्ता होगा। गर्मी में पैदावार अच्छी थी, इसलिए टमाटर पांच से 10 रुपये प्रतिकिलो तक बिका। इधर इंटरनेट मीडिया पर लोगों ने टमाटर की जमाखोरी करने का संदेश चल रहा है, जिसमें लिखा गया है कि कोल्ड स्टोरे में रखे टमाटर बिक रहे हैं। जिनमें सफेद कीड़े पड़ रहे हैं। कुपया 15 दिनों तक टमाटर नहीं खाएं। इससे बड़े व्यापारी टमाटरों की जमाखोरी करके कोल्ड स्टोर में नहीं रखें। जब बिना जमाखोरी के टमाटर बाजार में आएंगे तो सस्ते हो जाएंगे। टमाटर की जमाखोरी के बारे में करोंद सब्जी मंडी थोक व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष मोहम्मद नसीम ने और बिट्टन मार्केट हाट बजार के अध्यक्ष व सब्जी विक्रेता हरिओम खटीक ने बताया कि सिर्फ हाइब्रिड टमाटर को कोल्ड स्टोरों में तीन से चार दिन तक रख सकते हैं, क्योंकि हाइब्रिड टमाटर का छिलका मोटा होता है। वहीं देशी टमाटर को रखने पर खराब हो जाते हैं, इसलिए टमाटर की जमाखोरी नहीं हो सकती। इंटरनेट मीडिया पर गलत व भ्रमित जानकारी फैलाई जा रही है। टमाटर वर्षा में हर वर्ष महंगे होते हों। इस बार कुछ अधिक दाम हो गए हैं। टमाटर के अलावा हीर सब्जियां भी महंगी हो जात ी हैं, जो इस बार भी महंगी हो गई हैं।

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