उज्जैन। पंचांगीय गणना के अनुसार इस बार श्रावण अधिकमास रहेगा। अर्थात श्रावण मास की अवधि तीस की बजाय साठ दिन की होगी। ऐसे में ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भगवान महाकाल की दस सवारी निकलेगी। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार तथा भादौ मास में भादौ कृष्ण अमावस्या तक आने वाले सोमवार पर सवारी निकलती है। इस अनुक्रम से प्रतिवर्ष 6 से 7 सवारियां निकाली जाती है। इस बार श्रावण अधिक मास होने से भगवान की दस सवारी निकलेगी। इसलिए अतिरिक्त रथों का निर्माण कराया गया है।
2023 में महाकाल की सवारी कब-कब
– पहली-10 जुलाई
– दूसरी-17 जुलाई
– तीसरी-24 जुलाई
– चौथी-31 जुलाई
– पांचवी- 7 अगस्त
– छठी-14 अगस्त
– सातवी-21 अगस्त
– आठवीं-28 अगस्त
– नवीं- 4 सितंबर
– दसवीं शाही सवारी-11 सितंबर
अब तक सवारी में यह रथ होते हैं शामिल
-श्रावण-भादौ मास की सभी सवारियों में भगवान की पालकी शामिल रहती है।
-दूसरी सवारी से शाही सवारी तक भगवान का एक मुखारविंद हाथी पर विराजित किया जाता है।
-तीसरी सवारी में भगवान के शिव तांडव स्वरूप को गरुड़ रथ पर विराजित किया जाता है।
-चौथी सवारी में भगवान उमा महेश नंदी पर सवार होकर निकलते हैं।
-पांचवी सवारी में बैलगाड़ी पर होल्कर मुखारविंद विराजित किया जाता है।
-छठी सवारी में बैलगाड़ी पर घटाटोप मुखारविंद विराजित किया जाता है।
-शाही सवारी में भगवान का सप्तधान मुखारविंद विराजित किया जाता है।
पुराने रथ जर्जर, तीन मुखारविंद नए रथ में निकलेंगे
बताया जाता है पुराने पांच रथ में से दो तीन रथ जर्जर हो गए है। इनका स्थान नए रथ लेंगे। इसके दो नए रथ में भगवान के अन्य मुखारविंद भक्तों के दर्शनार्थ निकाले जाएंगे। सूत्र बताते हैं एक पुजारी ने चांदी का बड़ा रथ बनाने का भी प्रस्ताव दिया है।
पांच रथ बनेंगे, डिजाइन तय करेगी समिति
श्रावण अधिक मास में दस सवारी निकलेगी। इसलिए पांच नए रथ का निर्माण कराया जा रहा है। प्रबंध समिति में ड्राइंग डिजाइन पास होने के बाद निर्माण की शुरुआत होगी।
-संदीप कुमार सोनी, प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर
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