ओझल हुई चंचल तो नम हुई लोगों कीं आंखे हथिनी को दी आखिरी विदाई

जबलपुर। फिल्म हाथी मेरे साथी का वो गीत तो सभी को याद होगा जब हाथी की मौत पर खुश रहना मेरे यार गाने ने सभी को रुलाने मजबूर कर दिया था। कुछ इसी तरह हथिनी की मौत पर जबलपुर में हुआ है। यहां लगभग दो माह पूर्व जबलपुर में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा में भाग लेने चंचल नाम की हथिनी को बुलाया गया था। उसके साथ उसके महावत गोविंद गिरी भी साथ आए थे। इस दौरान हथिनी चंचल बीमार हो गई जिसका इलाज जबलपुर में किया गया, लेकिन अपने स्वास्थ्य से लड़ते-लड़ते उसने अपनी जिंदगी से विदा ले लिया है। चंचल अब ओझल हो चुकी है। यह देख आज लोगों की आंखें नम हो गई। उसे नम आंखों से विदा देते हुए वन विभाग की उपस्थिति में हथिनी चंचल का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

सतपुला बाजार में हथिनी को दफनाया गया

हथिनी का अंतिम संस्कार जीसीएफ एस्टेट राममंदिर के पीछे सतपुला बाजार में किया गया। यहां वन विभाग के लोगों की मौजूदगी व महावत गोविंद गिरी की उपस्थिति में उसे दफनाया गया है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.