बिलासपुर। सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल 34 साल के एक युवक को इलाज के लिए पिछले दिनों सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) लाया गया। जांच में यह बात सामने आई कि युवक के चेहरे की हड्डियां चूर चूर हो गई है। ऐसे में तत्काल सर्जरी की जरूरत है, तभी युवक की जान बच सकती है।
इसके बाद ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर युवक की जान बचाने में सफल हुए। मालूम हो कि इस सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की टीम ने हड्डियों को जोड़ने के लिए चेहरे और 22 प्लेट्स व 60 स्क्रूज लगाने पड़े।
मरीज मोहन लाल (बदला हुआ नाम ) 34 वर्ष निवासी कोरबा का विगत दिनों सड़क दुर्घटना में चेहरे की हड्डियों का चूरा – चुरा हो गया था, चेहरा पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया था। जिसमे मरीज के माथे की हड्डी, नाक की हड्डी, ऊपरी जबड़े की हड्डी, निचले जबड़े की हड्डी, दोनों आँख के चारों ओर की हड्डियों चुरा चुरा हो गया था। दुर्घटना उपरांत मरीज पहले निजी चिकित्सालय में इलाज करवाने गया था।
परन्तु प्राइवेट में इलाज का 2 से 3 लाख लाख रूपए का खर्चा बताया गया, जो उसके स्वजन नहीं दे सकते थे, इसके बाद मरीज को सिम्स अस्पताल में आयुष्मान के तहत निशुल्क इलाज करवाने का सोचकर सिम्स के दन्त रोग विभाग में लाया गया। दन्त रोग विभाग में डॉक्टरो द्वारा परीक्षण उपरांत जरुरी खून जाँच एवं 3डी सिटी फेस करने के बाद विभागाध्यक्ष डॉ संदीप प्रकाश के द्वारा ऑपरेशन का निर्णय लिया गया।
इस प्रकार का चकना चूर हुए चेहरे की हड्डियों को जोड़ना एक जटिल तथा चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था जिसे धीरता के साथ 18 मई को 8 से 9 घंटे तक ऑपरेशन कर क्षत-विक्षत चेहरे को जोड़ा गया । जब भी कोई जबड़े का फ्रैक्चर होता है तो उसमें २-४ प्लेट्स और ८-१२ स्क्रूज़ लगते हैं. लेकिन इस केस में फेस की साड़ी हड्डियाँ टूट चुकी थी और हर एक हड्डी बहुत सारे टुकड़े में।
इन सब को जोड़ना और सही तरीके से बैठना एक बहुत बड़ा चैलेंज रहा, ऐसे में पेशेंट को २२ प्लटेस और ६० स्क्रूज़ की मदद से पुरे चेहरे को एक पजल की तरह जोड़ करके बनाया है। जिसमे दन्त रोग विभाग के डॉ संदीप प्रकाश के साथ डॉ जंडेल सिंह ठाकुर, डॉ भूपेंद्र कश्यप, डॉ हेमलता राजमणि, डॉ प्रकाश खरे, डॉ सोनल पटेल एवं टीम तथा निश्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश निगम के साथ उनकी नर्सिंग टीम ने महत्त्व पूर्ण योगदान दिया।
चेहरे पर नहीं आएगा निशान
इस ऑपरेशन की खास बात यह है कि पूरा चेहरे की हड्डिया को जोड़ने के लिए चीरा लगाना पड़ता.. जिससे चेहरे पर चीरे के निशान बन जाता इसलिए ऑपरेशन बाई कोरोनल फ्लैप लेकर तथा मुँह के अंदर से किया गया और चेहरे पर सिर्फ दो छोटे चीरे लगाए गए। इस ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ, संतुष्ट एवं खुश है।
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