राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के 25वें स्थापना दिवस के मौरे पर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का एलान किया। इसे महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ कदम माना जा रहा है। इस घोषणा के बाद अजित पवार जिस तरह से मीडिया से बिना बात किए जल्दबाजी में चले गए, उससे उनकी नाराजगी के कयास लगाये जा रहे थे। अब अजित पवार ने खुद मीडिया के सामने आकर इस फैसले पर खुशी जताई है।
प्रदेश अध्यक्ष की सफाई
अजित पवार को लेकर उठे सवालों पर एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि अजित पवार की नाराजगी का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि जो भी फैसला लिया गया वह उनकी (अजित पवार) की उपस्थिति में लिया गया। उन्होंने कहा कि अजित पवार के पास पहले से ही बड़ी जिम्मेदारी है वह विपक्ष के नेता हैं। ऐसे में उनकी नाराजगी का सवाल ही नहीं उठता।
इस फैसले के मायने
- इस फैसले से साफ है कि शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने का मौका दिया है। वहीं भतीजे अजित पवार को महाराष्ट्र की राजनीति तक सीमित कर दिया है।
- ये अजित पवार के लिए भी एक संदेश है कि पार्टी में उनकी मनमानी नहीं चलेगी। अजित पवार कई बार बिना पार्टी की सहमति के, पाला बदलने के फैसले ले चुके हैं।
- वैसे इस बात का भी खतरा है कि अजित पवार का खेमा, पार्टी से नाराज होकर अलग हो सकता है। अब बीजेपी के लिए इस पार्टी को तोड़ना ज्यादा आसान हो सकता है। लेकिन ये इस बात पर निर्भर करता है कि पार्टी के कितने विधायक अजित पवार के साथ हैं और कितने सुप्रिया सुले के साथ। वैसे, जब तक शरद पवार हैं, पार्टी में फूट की संभावना कम ही नजर आती है।
- माना जा रहा है कि पार्टी में दो खेमे बन चुके हैं। एक गुट बीजेपी के साथ, तो दूसरा कांग्रेस-शिवसेना के साथ जाने की बात करता है। ऐसे में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर शरद ने दोनों खेमों को संतुष्ट करने की कोशिश की है।
- एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा है कि कार्यकारी अध्यक्ष के ऐलान के साथ ही चुनाव का काम और लोकसभा-राज्यसभा का काम बांट दिया जाएगा। ऐसे में हो सकता है कि 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह फैसला लिया गया हो।
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