उज्जैन। पंचांग की गणना के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि बुधवार के दिन 14 जून को रात 11 बजे शनि अपनी ही राशि कुंभ वक्री होंगे। शनि का वकृत्व काल तकरीबन 147 दिनों का रहेगा। जिसमें सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक परिवर्तन दिखाई देगा। विभिन्न राशियों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। जातकों को अनुकूलता के लिए शनि महाराज की उपासना करनी होगी। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया ग्रहों के परिभ्रमण का गणित और उनका गणना अनुक्रम अलग-अलग प्रकार से गोचर की स्थिति को प्रभावित करता है।
अपनी ही राशि कुंभ में वक्री होंगे शनिदेव
प्रायः शनि के वक्री व मार्गी होने का गति अनुक्रम 145 से 147 दिनों के मध्य का रहता है। अर्थात इन दिनों में वक्री मार्गी होने की स्थिति गोचर में बनती रहती है। 14 जून को शनि कुंभ राशि में अर्थात अपनी ही राशि में रात्रि 11 बजे वक्री होंगे। उनके वक्री होने के बाद से ही कुछ परिवर्तन समाज में अर्थ नीति, राजनीति व सामाजिक संदर्भ के अलग-अलग घटनाक्रमों के रूप में दिखाई देंगे। शनि ग्रह पश्चिम दिशा का कारक है। यह पेट्रोल तथा रासायनिक पदार्थों का कारक भी है।
ऐसे में इसके वक्री होते ही पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्य वृद्धि हो सकती है। कहीं अति और कही खंड वृष्टि होगी 15 जून के बाद वर्षा ऋतु का विशेष अनुक्रम शुरू होता है। मानसून से संबंधित सामुद्रिक विज्ञान की गणना भी उसी विशेष भाग से आरंभ होती है। इस दृष्टि से वकृत्व काल एवं वक्र दृष्टि का संबंध भी अलग-अलग राज्यों में वृष्टि की स्थिति को बताएगा। कहीं खंड वृष्टि, अतिवृष्टि, अल्प वृष्टि का संकेत इनके वकृत्व काल में दिखाई दे सकते हैं।
विभिन्न राशियों पर ऐसा रहेगा प्रभाव
– मेष राशि : अधिक तनाव और चिंता करने से बचें, कार्य समय पर होगा।
– वृषभ : स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है सोच समझ कर आगे बढ़ें।
– मिथुन : अंधविश्वास कार्य तथा प्रतिष्ठा को उलझा सकता है, अपना ध्यान रखें।
– कर्क : वाणी पर नियंत्रण रखते हुए कार्य साधने का प्रयास करें, सफल होंगे।
– सिंह : रुके हुए कार्यों में गति लाने का प्रयास करें, सफलता मिलेगी।
-कन्या : विवादों से बचने का प्रयास करें व्यर्थ चिंता ना करें समय का इंतजार करें।
– तुला : मित्रों का सहयोग लेने का प्रयास करें विश्वास के साथ संतुलन बनाएं।
– वृश्चिक : किसी भी यात्रा पर जाने से पहले विचार करें तथा यात्रा के दौरान सावधान रहें।
– धनु : पिछले कुछ समय से चल रही है स्थिरता में तेजी आएगी, कार्य होने लगेंगे।
– मकर : पुनः चिंतन करने की आवश्यकता अनुभव होगी, शनिदेव की आराधना करें।
– कुंभ : स्वयं को एकांत में ना रखते हुए मित्र या संबंधी के साथ रहें, सकारात्मक सोंचें।
– मीन : कार्य से संबंधित प्रावधानों पर पुनः ध्यान की आवश्यकता रहेगी।
शनि की अनुकूलता के लिए यह करें
वक्री शनि साढ़ेसाती, लघु ढैय्या तथा जन्म पत्रिका में शनि की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म प्रत्यंतर दशा या शनि की कमजोर स्थिति या शत्रु राशि में होने पर संघर्ष को बढ़ा देती है। इस लिए 14 जून से शनिदेव की कृपा व अनुकूलता प्राप्त करने के लिए शनि के विभिन्न स्तोत्र का पाठ, वैदिक या बीजोक्त मंत्रों का जाप करने के साथ शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना श्रेयष्कर रहेगा।
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