शहडोल में 85 साल के सेवानिवृत्त पीटीआइ की साइकिल सवारी चर्चा में

 शहडोल। पूरे विश्व में आज तीन जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। वास्तव में साइकिल हमारे पर्यावरण के लिए फायदेमंद तो है ही बल्कि साइकिल चलाना स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। साइकिल का हम सभी के जीवन में अहम स्थान है। साइकिल की सवारी करने वाले लोग ही जानते हैं कि इसकी सवारी कितनी सुख देने वाली है। साइकिल दिवस को मनाने की शुरुआत यूं तो साल 2018 में हुई।अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व साइकिल दिवस मनाने का फैसला लिया। इसके लिए तीन जून का दिन तय किया गया। तब से अब तक भारत समेत कई देश विश्व साइकिल दिवस मनाते आ रहे हैं। आज हम शहर के उन बुजुर्गों की बात बताएंगे जो बचपन से आज तक जबकि किसी की उम्र 74 साल तो किसी की 85 साल हो गई है, वह बराबर साइकिल को अपने जीवन का हिस्सा बनाए हुए हैं।

मैं 85 की उम्र में आज भी फिट

सेवानिवृत्त पीटीआइ एम.ए.खान का कहना है कि मैं आज 85 साल का हो चुका हूं लेकिन साइकिल को आज भी मैं अपने साथ अर्धांगिनी की तरह की रखता हूं। मैं आज पूरी तरह से फिट हूं और प्रतिदिन 10 किलोमीटर का सफर साइकिल से करता हूं।मैं तो यह मानता हूं कि साइकिल की सवारी दिल की बीमारी से दूर रखती है और यदि कोई जीवन भर स्वस्थ्य रहना चाहे तो उसे साइकिल चलाना ही चाहिए।

शहर के अन्‍य बुजुर्गों ने बताए अपने अनुभव

मुझे अच्छी तरह से याद है कि मैं जब दस साल का था तब मुझे पिता जी ने साइकिल खरीद कर दी थी। तब स्कूल जाना और साइकिल से ही सारे काम करता था। जवान होते होते साइकिल मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गई।आज मैं 84 साल का हो गया हूं और चार साइकिलें जीवन में बदल चुका हूं लेकिन अपने आपको नहीं बदला। साइकिल आज भी मेरी जिंदगी है और मेरी हमराही की तरह ही है।

-पं.कृष्णकिशोर मिश्रा कोटमा।

64 साल की उम्र पूरी हो चुकी है। अब तक दो साइकिलेें मैंने बदली हैं। साइकिल से ही सारा काम आज करता हूं।एक बार मेरे संगीत गुरू अनूप जलोटा ने पूछा था कि तुम्हारे पास आने जाने का साधन क्या है तो मैंने बेझिझक कहा था कि साइकिल से ही शहर में आना जाना करता हूं। तब उन्होंने कहा था कि तुम्हारे स्वस्थ्य रहने का राज भी यही है। वास्तव में साइकिल की सवारी आज भी शान की सवारी है।

-नत्थूलाल गुप्ता गीतकार।

मैंने जब से स्कूल जाना शुरू किया था तब से ही साइकिल मेरे साथ जुड़ गई।आज मेेरी उम्र 74 साल है लेकिन मैं उम्र के इस पड़ाव में भी साइकिल की सवारी करता हूं। मैं इस उम्र में भी प्रतिदिन दस किलोमीटर साइकिल चलाता हूं और पूरी तरह से स्वस्थ्य हूं। मैं कभी मोटा नहीं हुआ।आज तक एक जैसा ही हूं। न घुटनों में दर्द न कमर में दर्द यूं कहूं तो साइकिल चलाने से पूरा कसरत हो जाती है।

-चिंतामणि पाठक कवि।

सन 1970 में पिताजी ने शुरू की थी साइकिल की दुकान

शहडोल में पंजाब साइकिल स्टोर के संचालक सरदार इंदरपाल सिंह बताते हैं कि जब हमारा परिवार शहडोल आया तो उस समय पिताजी सरदार हरवंश सिंह ने 1970 में साइकिल की दुकान शुरू की थी। छोटी सी दुकान से ही पूरे परिवार का पेट पलता था। मैंने देखा है कि उस जमाने में जब एक ट्रक साइकिल आती थी तब उसमें 80 प्रतिशत बड़ी साइकिलें और 20 प्रतिशत छोटी साइकिलें होती थीं आज समय बदल गया है। आज 80 प्रतिशत छोटी बच्चोें वाली साइकिलें आती हैं। साइकिल का क्रेज फिर भी कम नहीं हुआ है। पहले किसान, सब्जी वाला, दूध वाला साइकिल से ही आता जाता था पर आज इनके पास वाहन हैं, लेकिन साइकिल अपनी जगह पर बरकरार है।पहले एक साइकिल को परिवार के तीन लोग चलाते थे पर अब बच्चे ही 18 साल की उम्र तक चार साइकिलें बदल देते हैं। आज लोग साइकिल को वर्क आउट का माध्यम बना रहे हैं। समय के साथ ई साइकिल का चलन शुरू हो गया है।

यह होता है साइकिल चलाने का फायदा

यह पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत अच्छा साधन है। डीजल पेट्रोल का दोहन कम होने से प्रदूषण कम होता है। स्वस्थ रखने के लिए भी साइकिल का उपयोग किया जाता है। साइकिल चलाने से वजन कम होता है मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

बोले- सिविल सर्जन

साइकिल चलाने से दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। आज दुनिया के कई लोग साइकिलिंग कर अपने आपको स्वस्थ्य रखे हुए हैं। मैं खुद प्रतिदिन साइकिल चलाता हूं। मैं अपनी उम्र के इस दौर में भी पूरी तरह से फिट हूं इसके पीछे का कारण यही है कि साइकिल आज भी मेरे जीवन का हिस्सा बनी हुई है।

-डा.जी.एस.परिहार सिविल सर्जन जिला अस्पताल शहडोल।

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