सनातन धर्म में प्रत्येक महीने का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास से होती है, जो मार्च-अप्रैल में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चौथा महीना आषाढ़ का होता है। यह महीना देवी-देवताओं के विश्राम करने के लिए होता है। इस महीने में भगवान सूर्य और मंगल देव की पूजा करना शुभ बताया गया है। इसके साथ ही भगवान शिव और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से भी शुभ फल प्राप्त होता है। आइये जानते हैं आषाढ़ मास कब से हो रहा है शुरू और इसका महत्व क्या है।
इस दिन से लगेगा आषाढ़ का महीना
सनातन पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून 2023 को सुबह 9 बजकर 11 मिनट से आरंभ होकर 5 जून 2023 सुबह 6 बजकर 39 मिनट से रहेगी। ऐसे में आषाढ़ का आरंभ 5 जून 2023 से हो रहा है।
आषाढ़ मास का महत्व
सनातन धर्म के आषाढ़ मास में भगवान श्री हरि विष्णु और शिव जी की पूजा करने का विधान है। वैसे आषाढ़ के महीने को भगवान विष्णु का महीना कहा जाता है। इस माह में सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ मंत्रों का जाप करने से कुंडली में सूर्य बलवान होता है। सूर्य को अर्घ्य देने से हर तरह के शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति हमेशा निरोगी रहता है। व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार आषाढ़ माह से ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। यही वजह है कि अगले 5 महीनों तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। इस वर्ष अधिक मास होने के कारण चातुर्मास पूरे 5 माह को होगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चातुर्मास 29 जून, गुरुवार को देवशयनी एकादशी के साथ आरंभ हो रहा है और समापन 23 नवंबर, गुरुवार को देवुत्थान एकादशी के दिन समाप्त हो जाएगा। ज्योतिषों के अनुसार, ऐसा संयोग करीब 19 साल बाद बन रहा है जब अधिक मास 5 माह का हो रहा है। ऐसा संयोग पहले 1947, 1966, 1985 और 2004 में बना था।
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