संसद भवन में हुई वास्तु पूजा जानिए कितना अहम होता है यह अनुष्ठान

देश को आज (रविवार) नया संसद भवन मिल गया है। संसद भवन की वास्तु पूजा भी की गई। वास्तु पूजा एक हिंदू परंपरा है। जिसका पालन सुख-समृद्धि को बनाए रखने के लिए किया जाता है। वास्तु का अर्थ है एक ऐसा स्थान जहां देवी-देवता और इंसान एक साथ रहते हैं। मनुष्य का शरीर पांच पदार्थों से बना हुआ होता है। वहीं, वास्तु का संबंध इन पांच तत्वों से माना जाता है। कई बार हमारा शरीर घर के अनुकूल नहीं होता है। तब यह प्रभावित करता है और इसे वास्तु दोष कहते है। आइए जानते हैं वास्तु शांति पूजन विधि और महत्व।

क्या है वास्तु शांति पूजा?

कई बार हम महसूस करते हैं कि घर में विवाद रहता है या कोई न कोई नुकसान होता रहता है। किसी भी काम के होने में अड़चनों का सामना करना पड़ता है। घर में बिल्कुल मन नहीं लगता और नकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है। इन सब परिस्थितियों के पीछे वास्तु दोष हो सकते हैं। घर में मौजूद वास्तु दोषों को दूर करने के लिए पूजा की जाती है, उसे वास्तु शांति पूजा कहा जाता है। वास्तु शांति पूजन से घर के अंदर की नकारात्मतक शक्तियां दूर हो जाती हैं।

वास्तु पूजा के प्रकार

अग्रभाग

यह एक विशेष प्रकार की वास्तु पूजन है। जहां नया निर्माण या नवीनीकरण एक शुभ दिशा में वास्तु शास्त्र के निर्देशों के अनुसार किया जाता है।

प्रधान वास्तु

यह पूजन परिवार के पुजारी द्वारा की जाती है। फर्नीचर, मूर्तियों और प्रकाश व्यवस्था की नियुक्ति से पहले यह पूजा की जाती है।

वास्तु पूजा का महत्व

– वास्तु पूजा स्वास्थ्य और धन की रुकावटों को दूर करता है।

– यह जन्म कुंडली पर ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में सहायक है।

– वास्तु पूजा जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है।

– वास्तु पूजा करने के परिवार के बीच संबंध मजबूत होता है। स्वास्थ्य, धन और सुख में वृद्धि होती है।

– वास्तु पूजा घर और कार्यालय को प्राकृतिक और अप्राकृतिक आपदाओं से बचाती है।

– वास्तु पूजन सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।’

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