भोपाल। प्लेबैक सिंगर और गजल गायिका प्रतिभा सिंह बघेल ने कहा कि गाने का शौक मुझे बचपन से ही था, मेरे पिता पुलिस अफसर होने के साथ ही गायक भी थे। इस प्रकार संगीत का माहौल घर से ही मिला। तीन साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था। पहले शास्त्रीय संगीत सीखा और जैसे-जैसे बड़ी होती गई गजल की और रुझान बढ़ता गया।
शनिवार को रवींद्र भवन में दास्तां-ए-गजल कार्यक्रम प्रस्तुति देने आईं ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’, ‘जिद’, ‘मणिकर्णिका’ जैसी फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी मशहूर सिंगर प्रतिभा सिंह बघेल ने नवदुनिया से बातचीत में कहा कि ऐसा नहीं है कि गजल केवल बुजुर्गों की ही पसंद है, यदि ऐसा होता तो आज यहां हाउसफुल नहीं होता। गजल गीतों की एक ऐसा मजबूत कड़ी है जिसमें प्यार और दुख के एहसास को बहुत ही उम्दा तरीके से बयां किया जा सकता है, अपने जज्बातों को जाहिर करने का खालिस तरीका ही गजल है, अपने इमोशंस लोगों तक पहुंचाने का एक जरिया आप गजल को कह सकते हैं, जो सभी को अपना से लगता है। इसीलिए इसे बूढ़े लोगों की पसंद कहना गलत होगा। बस जरूरत है कि गजल को अब युवाओं के बीच भी प्रमोट करने की।
मुंबई में मेरे लिए सिटी आफ ड्रीम्स रहा: रीवा से मुंबई तक की अपनी जर्नी के बारे में उन्होंने कहा कि मुंबई वाकई में मेरे लिए सिटी आफ ड्रीम्स रहा है। मुंबई ने मेरा स्वागत किया और मुझे बहुत कुछ दिया है। रीवा में शास्त्रीय गायन से मेरी शुरूआत हुई और अब गजल के क्षेत्र में अपना मुकाम बना रही हूं। करीब 15 साल हो गए हैं मुझे संगीत की दुनिया में कदम रखें। गजल के मौजूदा दौर पर उन्होंने कहा कि जब हम कोक स्टूडियो में पुरानी गजलें का रिक्रिएशन सुनते थे तो वह हमें नई लगती थीं लेकिन वह गजलें बहुत पुरानी थीं। अब रिक्रिएशन के जरिए गजलों को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। फिल्म इंडस्ट्री में भी गजलों में काफी काम हो रहा है। फिल्म और वेबसीरीज में गजलें आ रही हैं।
इंटरनेट मीडिया सबसे प्रभावी माध्यम: टीवी शो सारेगामापा से अपनी जर्नी शुरू करने वाली प्रतिभा का कहना है कि सिंगिंग रियलिटी शो काफी अच्छे प्लेटफार्म हैं, बच्चों और बड़ों के लिए अपनी प्रतिभा को एक्सप्रेस करने के लिए और इससे प्रतिभाओं को एक्स्पोजर भी मिल रहा है। इसके साथ ही अब इंटरनेट मीडिया भी एक उम्दा माध्यम बन गया है अपनी कला को दुनिया के सामने लाने का। उन्होंने कहा कि मैंने भोपाल में कई कंसर्ट किए हैं, जिसमें मेरा खास कंसर्ट तलत अजीज के साथ भी रहा है। इसी साल हमने शायर डा बशीर बद्र के जन्म दिन पर प्रस्तुति दी थी, जिसमें हमने बद्र साहब की गजलें भी गईं थीं। यहां गजल के कद्रदान अन्य शहरों की अपेक्षा अधिक हैं। वहीं अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट के बारे में प्रतिभा कहती हैं कि मैं आने वाले समय में गजल गायिका मधुरानी को ट्रिब्यूट करता एक एल्बम प्रस्तुत करने वाली हूं।
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