शाजापुर। गौरी जितना दूध देने वाली मालवी नस्ल की गाय पूरे मध्य प्रदेश में नहीं है। यह देसी गाय एक दिन में साढ़े 14 लीटर से ज्यादा दूध देती है। किसी देसी गाय का इतना दूध देना बहुत बड़ी बात है। गौरी के इतनी मात्रा में एक दिन में दूध देने की खासियत ने उसके गोपालक को लखपति भी बना दिया है। दरअसल, गौरी ने अपने गोपालक को जिला स्तर पर 51 हजार का पुरस्कार दिलाया था तो वहीं अब राज्य स्तर पर दो लाख का ईनाम दिलवाने जा रही है।
गौरी को राज्य स्तर पर मिले खिताब से गोपालक आशीष पुत्र महेश शर्मा मोहल्ला लालपुरा काफी प्रसन्न है। राज्य स्तरीय पुरस्कार कार्यक्रम का आयोजन 28 मई सुबह 10 बजे जिला बड़वानी में होगा। अमूमन देसी मालवी नस्ल की गायें अक्सर मंडियों, चौराहों, हाईवे आदि जगह बेसहारा घूमती दिखाई दे जाती है।
पशु पालक इन्हें लावारिस सा छोड़ देते हैं, दाना पानी की आस में भटकती इन गायों को कोई दया कर घास, रोटी आदि खिला देते तो ठीक नहीं तो कई लोग तो इन्हें देखकर दरवाजा बंद कर देते हैं या कोई व्यवसायी लाठियां भांजकर इन बेसहारा गायों को धुत्कार देता है। लेकिन देसी मालवी नस्ल की गाय को अपना समझकर अच्छी देखरेख की जाए तो यह आपको ज्यादा से ज्यादा दूध तो देती ही है वहीं गोबर से कंडे विक्रय कर भी अच्छी आमदनी दे सकती है।
शाजापुर के लालपुरा निवासी गोपालक आशीष शर्मा एक अच्छे गोपालक हैं। इनके यहां देसी व गिर दो नस्ल की कुछ गायें हैं। इस साल मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना के घटक के रूप में जिले का मूल गौवंशीय नस्ल मालवी एवं भारतीय उन्नत नस्ल की गाय के लिए पुरस्कार योजना अंतर्गत जिला स्तरीय पुरस्कार प्रतियोगिता का आयोजन शाजापुर में हुआ था। उन्होंने अपनी गाय गोरी को भी इस प्रतियोगिता में उतारा था।
गो पालक शर्मा की मालवी नस्ल की गाय को प्रतिदिन औसत दुग्ध उत्पादन 14.760 लीटर दिया था। उन्हें जिला स्तर पर 51 हजार का पुरस्कार मिला था। इसके बाद प्रदेश स्तर पर इस प्रतियोगिता में 52 जिलों की प्रथम आई गायों की मिल्किंग का मिलान किया गया तो देसी नस्ल की गायों में गौरी की मिल्किंग सबसे ज्यादा रही है। इसके बाद अब गोरी के प्रदेश स्तर पर सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय का खिताब मिलने पर गोपालक आशीष दो लाख ररुपये का पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाने वाला है।
गाय गौरी सातवीं पीढ़ी
गोपालक आशीष बताते हैं कि वह गौरी सहित उनके पास जो अन्य गायें हैं उनकी सामान्य देखरेख ही करते हैं। चारा, भूसा, पशु आहार समय पर देते हैं। वहीं वह प्रतिदिन गायों के साथ कुछ वक्त जरूर बिताते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी गाय गौरी को वह दीपावली व अन्य त्योहारों पर शृंगार कर चांदी के कड़े पहनाते हैं। गोरी गाय उनकी यहां आई देसी गाय की सातवीं पीढ़ी है।
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