इंदौर। शहर की 100 अवैध कालोनियां मंगलवार सुबह से वैध हो गई। रवींद्र नाट्यगृह में एक कार्यक्रम में इन कालोनियों को वैधता प्रमाण पत्र जारी किए गए। अब इन कालोनियों में नक्शे पास हो सकेंगे और रहवासियों को मकान बनाने के लिए बैंकों से ऋण मिल सकेगा।
कालोनी वैध होने पर रहवासियों को विकास शुल्क के रूप में एक निश्चित रकम नगर निगम में जमा करानी होगी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भोपाल से इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए। मंगलवार को कार्यक्रम में ही कालोनियों के रहवासी संघों को विकास शुल्क की जानकारी भी दे दी गई है।
5 से लेकर 80 रुपये वर्गफीट तक लगेगा विकास शुल्क
अवैध से वैध हो रही कालोनियों के रहवासियों को विकास शुल्क के रूप में एक मोटी रकम नगर निगम में जमा करानी होगी। विकास शुल्क 5 रुपये वर्गफीट से लेकर 80 रुपये वर्गफीट तक होगा। वैध होने के बाद इन कालोनियों में नगर निगम विकास कार्य प्रारंभ करेगा, लेकिन जो कालोनियां पहले से विकसित हैं यानी जहां पहले से सड़क, पानी और बिजली की सुविधा उपलब्ध है, उन कालोनियों के रहवासियों को विकास शुल्क चुकाने के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसी तरह निगम का कहना है कि वैध होने जा रही कालोनियों में नक्शे पास हो सकेंगे, लेकिन जो मकान पहले से बने हुए हैं, उनके लिए फिर से नक्शा स्वीकार कराना अनिवार्य नहीं होगा। ये लोग कंपाउंडिंग की प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।
जिन कालोनियों में 900 वर्गफीट से छोटे हैं प्लाट, वहां 20 प्रतिशत लगेगा विकास शुल्क
नगर निगम ने कालोनियों को दो श्रेणियों में रखा है। पहली श्रेणी में वे कालोनियां शामिल हैं जिनमें प्लाट का साइज 900 वर्गफीट या इससे कम है। इन कालोनियों में विकास शुल्क का 80 प्रतिशत निगम वहन करेगा शेष 20 प्रतिशत रहवासियों को देना होगा। 900 वर्गफीट से बड़ी साइज के प्लाट वाली कालोनी में नगर निगम और रहवासियों को 50-50 प्रतिशत विकास शुल्क वहन करना होगा। निगम अधिकारियों का कहना है कि मंगलवार को वैध होने जा रही कालोनियों में 75 प्रतिशत छोटे प्लाट वाली कालोनियां हैं।
यह भी जानें
निगम अधिकारियों का कहना है कि जो कालोनियां विकसित हैं या जहां आवश्यकता नहीं है, वहां किसी तरह की तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। उनका यह भी कहना है कि पहले से बने मकानों के लिए नए सिरे से नक्शे स्वीकृत कराने की अनिवार्यता नहीं होगी। हालांकि विकास शुल्क तो हर रहवासियों को देना होगा।
11 वर्ष का इंतजार खत्म, 11 जून के बाद जारी होगा प्रमाण पत्र
तुलसी नगर होगा वैध : रहवासियों से भेंट में महापौर ने दिया आश्वासन
तुलसी नगर रहवासियों का 11 वर्ष से चला आ रहा संघर्ष अब खत्म होने को है। कालोनी पर लगा अवैध का कलंक धुलने का समय आ गया है। सोमवार को तुलसी नगर के रहवासियों ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव से भेंट की। महापौर ने उन्हें बताया कि नजूल से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में हुई देरी की वजह से तुलसी नगर को पहली सूची में शामिल नहीं किया जा सका है।
भार्गव ने बताया कि 25 मई से पहले तुलसी नगर का ले-आउट प्लान प्रकाशित कर दिया जाएगा। अगले 15 दिन दावे-आपत्तियां बुलवाई जाएंगी। इन दावे-आपत्तियों का निराकरण होते ही तुलसी नगर को वैध घोषित कर दिया जाएगा। तुलसी नगर को वैधता का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अलग से भी आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम संभवत: 11 जून को होगा।
मालूम हो, आज 100 कालोनियों को वैधता प्रमाण पत्र मिलने जा रहा है। तुलसी नगर का नाम वैध की जा रही कालोनियों की सूची में शामिल नहीं होने से रहवासियों में आक्रोश था। रविवार को रहवासी संघ ने बैठक आयोजित कर घोषणा कर दी थी कि जल्दी ही तुलसी नगर को वैध घोषित नहीं किया गया तो रहवासी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। इसके बाद सोमवार सुबह महापौर ने तुलसी नगर रहवासियों चर्चा के लिए सचिवालय पर आमंत्रित किया। सोमवार को हुई चर्चा में विधायक महेंद्र हार्डिया, महापौर परिषद सदस्य राजेश उदावत, पार्षद संगीता महेश जोशी भी उपस्थित थे।
नजूल की एनओसी देर से आने और ले-आउट को लेकर कुछ दिनों का विलंब हुआ है। अधिकारियों को निर्देशित किया है कि तीन दिन में ले आउट का प्रकाशन कर दावे-आपत्ति बुलाएं और तय सीमा में इनका निराकरण करें। कार्यक्रम आयोजित कर तुलसी नगर को पात्रता प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
-पुष्यमित्र भार्गव, महापौर
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