इंदौर। इस साल सोयाबीन के दाम स्थिर है और सामान्य बने हुए हैं। ऐसे में सोयामील का निर्यात बढ़ता हुआ दिख रहा है। बीते साल दाम में तेजी के कारण निर्यात ठप हो गया था। उससे पहले कोरोना काल में कंटेनरों की कमी ने निर्यात में अडंगा लगा दिया था। ऐसे में मप्र के सोया उद्योगों को भी राहत मिली है। निर्यात बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है।
इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) रिपोर्ट जारी कर निर्यात आंकड़े जारी किए हैं।भारत से अधिकांश समुद्री मार्ग से सोयामील का निर्यात शिपमेंट होता है जबकि नेपाल एवं बांग्लादेश को स्थल मार्ग से भी यह भेजा जाता है। सोपा के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू मार्केटिंग सीजन के शुरुआती सात महीनों में यानी अक्टूबर 2022 से अप्रैल 2023 के दौरान देश से समुद्री मार्ग एवं स्थल मार्ग से कुल मिलाकर 13.78 लाख टन सोयामील का निर्यात हुआ जो 2021-22 सीजन के इन्हीं महीनों के निर्यात 5.03 लाख टन के दोगुने से भी काफी अधिक रहा। निर्यात में हुई इस शानदार बढ़ोत्तरी का प्रमुख कारण भारतीय सोयामील का ऑफर मूल्य काफी हद तक प्रतिस्पर्धी स्तर पर रहना माना जा रहा है।
भारत में सिर्फ परम्परागत व नाम जीम किस्म के सोयाबीन का उत्पादन होता है जबकि अर्जेन्टीना, ब्राजील एवं अमरीका जैसे अन्य निर्यातक देशों में जीएम सोयाबीन का उत्पादन होता है। ऐसे में भारत के सोयाबीन को खाद्य उपयोग के लिए मंगवाया जाता है। विश्वभर में भारतीय सोयामील की मांग इसीलिए ज्यादा है। इसी का नतीजा है कि भारतीय सोयामील के दाम अन्य देशों के माल की तुलना में निर्यात ऑफर मूल्य 40-50 डॉलर प्रति टन तक ऊंचा रहता है तब भी आयातक इसकी खरीद से परहेज नहीं करते हैं।
सोपा के अनुसार चालू मार्केटिंग सीजन के आरंभ में 2.47 लाख टन सोयामील का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद था जबकि अप्रैल 2023 तक सात महीनों में कुल 57.43 लाख टन का उत्पादन एवं 5 हजार टन का आयात हुआ। इसमें से 13.78 लाख टन का निर्यात तथा 43.75 लाख टन का घरेलू उपयोग हुआ। घरेलू उपयोग के तहत खाद्य उद्देश्य में 5.75 लाख टन सोयामील की खपत हुई जबकि पशु आहार / पॉल्ट्री फड निर्माण उद्देश्य में 38 लाख टन का इस्तेमाल किया गया और 1 मई 2023 को कल 2.42 लाख टन का अधिशेष स्टॉक बच गया। इस अवधि के दौरान देश में 84 लाख टन सोयाबीन की आवक तथा 71.50 लाख टन की क्रशिंग हुई।
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