बीते कुछ सालों में दुनिया के कुछ देशों में एक अलग ही तरह की रेस चल पड़ी है और आने वाले कुछ वर्षों में इसके परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। भारत के लिए Land Reclamation जैसा शब्द ही नया लगता हो, लेकिन चीन, वियतनाम, मलेशिया जैसे कुछ देशों में इन दिनों नई जमीन बनाने के लिए होड़ लगी हुई है। यहां जानें आखिर क्या है Land Reclamation और दुनिया के देशों में क्यों दिनों नई जमीन बनाने के लिए होड़ लगी हुई है –
कई देशों के सामने डूबने का खतरा
उथले समुद्र में भरी जा रही करोड़ों टन रेत
Land Reclamation से बन रहे विलासिता के अड्डे
कुछ देशों में जहां जमीन का संकट सिर आने के के कारण Land Reclamation किया जा रहा है, वहीं पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व या पश्चिमी अफ्रीका के कुछ देशों में समुद्र में नई जमीन तैयार करके विलासिता के अड्डे तैयार किए जा रहे हैं। बीच समुद्र में रेत भर नई कॉलोनियां, नए व्यावसायिक इलाके और औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा रहे हैं।
दुनिया के 106 शहरों में चल रहा Land Reclamation
एक रिपोर्ट के मुताबिक 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले दुनिया के करीब 106 बड़े शहरों में फिलहाल Land Reclamation प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके जरिए समुद्र में 2,530 वर्ग किलोमीटर नई जमीन तैयार हो चुकी है। कुल क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो यह इलाका लक्जमबर्ग के बराबर है। अकेले चीन ने ही शंघाई शहर में Land Reclamation के जरिए बीते 20 साल में 350 वर्ग किमी नई जमीन जोड़ ली है।
Land Reclamation के ये खतरे भी
दुनिया के कुछ शहरों में लैंड रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट्स सिर्फ विलासिता के लिए चलाए जा रहे हैं, जिसे स्थानीय बसाहट में दखलंदाजी के साथ-साथ समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ा जा रहा है। इसके अलावा नई जमीन कितनी मजबूत होगी, फिलहाल ये भी संदेह के घेरे में है। समुद्री तूफान के अलावा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए नई जमीन को लेकर अभी भी विशेषज्ञों में संदेह है।
पर्यावरण को भारी नुकसान
Land Reclamation प्रोजेक्ट के कारण भारी तादाद में रेत की जरूरत होती है। यही कारण है कि Land Reclamation प्रोजेक्ट चलाने वाले देशों की रेत की भूख काफी बढ़ गई है। कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम समेत कई देश तो लैंड रिक्लेमेशन के लिए रेत निर्यात करने पर बैन लगा चुके हैं। ऐसे में कुछ कंपनियों अब गहरे समुद्र से भी रेत निकालने का काम शुरू कर दिया है।
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