निर्वस्त्र स्नान को लेकर शास्त्रों में क्या है उल्लेख क्या सच में ऐसा करना वर्जित है जानें

घर-परिवार में अक्सर बड़े-बुजुर्ग कुछ चीजों को लेकर रोक-टोक करते हैं। इसके पीछे धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार कुछ नियम जिम्मेदार होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन्हें मनाना आपके लिए एक प्रकार से लाभकारी होता है। जैसे सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, नियमित पूजा पाठ करना। पानी पीने से लेकर खाना खाने तक हर चीज का एक नियम होता है। ऐसा ही कुछ नियम स्नान को लेकर बताए गए हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार निर्वस्त्र होकर नहाना शुभ होता है या अशुभ। आइये जानते हैं।

पौराणिक कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार की बात है एक सरोवर में गोपियां निर्वस्त्र होकर स्नान कर रही थीं। इस दौरान बाल कृष्ण कन्हैया ने हंसी-खेल में उनके वस्त्र छुपा दिए। ये देखकर गोपियां हैरान परेशान हो गई। उन्हें कृष्ण पर प्यार और गुस्सा दोनों आ रहा था। उन्होंने श्री कृष्ण से अपने वस्त्र मांगे। भगवान कृष्ण ने सभी गोपियों को वस्त्र वापस देते हुए इस बात का बोध कराया कि कभी भी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से जल के देवता वरुण का अपमान होता है। ना सिर्फ खुले स्थान पर बल्कि बंद बाथरूम में भी किसी भी मनुष्य को निर्वस्त्र स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें शारीरिक और आर्थिक परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।

नकारात्मकता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब कोई व्यक्ति निर्वस्त्र होकर स्नान करता है तो उसके शरीर में नकारात्मक ऊर्जा को संचार होता है। जिसकी वजह से उस व्यक्ति की मानसिकता भी नकारात्मक हो जाती है।

पितृदोष

गरुड़ पुराण के अनुसार जब कोई व्यक्ति निर्वस्त्र होकर स्नान करता है तो उसे पितृ दोष लग सकता है। इसके पीछे का कारण है कि मृतक पूर्वज आपके आसपास ही मौजूद होते हैं। ऐसा करने से आपके पितरों को तृप्ति नहीं मिलती है। जो पितृ दोष का कारण बनता है।

लक्ष्मी अप्रसन्न होती हैं

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति बिना कपड़ों के स्नान करता है उससे धन की देवी मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। लक्ष्मी के अप्रसन्न होने से कुंडली में धन योग कमजोर हो सकता है और उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है।

डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।

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