आलोक से मुरझा रहा भाजपा का कमल

भाजपा जिलाध्यक्ष के रहते कार्यालय आने से कतराते कार्यकर्ता
राष्ट्र चंडिका, सिवनी। भाजपा जिलाध्यक्ष आलोक दुबे अपने आपको बहुत बड़े नेता मानने लगे है और अध्यक्ष बनने के बाद जिन नेता के बल पर वह आसमान में उड़ रहे थे उस नेता ने आलोक के बढ़ते ख्वाबों पर पानी फेर दिया है सभी जानते है कि भाजपा में अध्यक्ष बनने के बाद विधायक दिनेश राय के विभिन्न कार्यक्रमों में आलोक जाते थे और यह बताने का प्रयास करते थे कि उनके कारण मुनमुन को बुलाया जाता है जैसे ही यह बात मुनमुन को पता चली तो उन्होने दूरिया बनाना प्रारंभ कर दी।
आलोक का राजनैतिक जीवन बताता है कि यह एबीव्हीपी में थे जबसे चंदे के बल पर ही अपना कैरियर संभाले हुए है जब भाजपा पार्टी दायित्व देती है तो दुबे आर्थिक दृष्टि से कार्यकर्ताओं के पाले में गेंद उछाल देते है अब स्थिति यह है कि कार्यकर्ता कार्यालय आने से भी कतराते है।
कार्यालय में प्रवेश से पहले कार्यकर्ता यह पूछता है कि अध्यक्ष जी तो नही है अगर है तो वह बाहर से ही लौट जाते है और नही रहते तो कुछ समय बैठ जाते है इतिहास बताता है कि सुजीत जैन के बाद से आज तक किसी नेता का अध्यक्षीय कार्यकाल संतोषजनक नही रहा जैसे महेश शुक्ला, नरेश दिवाकर, नीता पटेरिया, राकेश पाल, प्रेम तिवारी सहित अनेक नेता शामिल है और उन सब में भी आलोक का और भी ज्यादा निम्र स्तर है अगर यही स्थिति रही तो फिर भाजपा का भविष्य सुधारने चिंतन और मंथन शिविर की आवश्यकता पड़ेगी अभी भी वक्त है क्योंकि आमजन के बीच नेताओं की छवि बहुत अच्छी नही है बूथों में कार्यकर्ता नाराज है
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