भोपाल। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई मानसिक समस्याएं होती हैं। प्रसव पीड़ा के डर से वे तनाव में रहती हैं। उन्हें यह भी चिंता रहती है कि आने वाली संतान को कोई विकृति तो नहीं होगी। इसका असर गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य खराब होने से महिलाओं को दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अनिद्रा, पेट की समस्या आदि होने लगती है। इससे उन्हें उबारने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) जून या जुलाई से कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इसे मेंटल हेल्थ माड्यूल नाम दिया गया है। इसमें उनकी समस्याओं की पहचान कर काउंसलिंग की जाएगी। आवश्यकता होने पर दवाएं भी दी जाएंगी।
इसके लिए हर जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक कक्ष बनाया जाएगा। प्रशिक्षण देकर काउंसलर्स को पदस्थ किया जाएगा। जिन महिलाओं में मानसिक बीमारियों के लक्षण मिलेंगे उनकी नियमित काउंसलिंग की जाएगी।
मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज्यादा होता है प्रभावित
एनएचएम की उप संचालक डा. अर्चना मिश्रा ने बताया कि जो महिलाएं पहली बार गर्भधारण करती हैं, उन्हें तो अनुभव नहीं होता लेकिन जिनकी कई संतान हैं। पहले से बेटियां हैं और अब वे बेटा चाहती हैं, नौकरी कर रही हैं तो प्रसव के बाद नौकरी के साथ किस तरह बच्चे की देखभाल करेंगी और गर्भावस्था के दौरान शरीर में भी कई बदलाव आते हैं, इस तरह के सवालों के कारण वे चिंता और तनाव में रहती हैं।
अब डाक्टर और नर्स को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे उनकी काउंसलिंग करें। इस संबंध में हर गर्भवती को होने वाली समस्याओं को लेकर तय प्रपत्र में पूरा विवरण भरा जाएगा।
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