हर पल उत्सव मनाना है तो धीरज शांति और प्रेम की गोली खाओ

भोपाल; हमारा जीवन ऐसा हो हर पल आनंद और हर पल खुशी। हर पल उत्सव। कौन सी कमजोरी है जिसने मेरी खुशी में बाधा उत्पन्न की है? इच्छाएं व्यक्ति को खुश नहीं रहने देती। वह हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ती ही जाती है। यदि सदा खुश रहना है तो एक सूत्र पक्का कर लीजिए, जो प्राप्त है वही पर्याप्त है। हम असंतुष्ट मने स्थिति के साथ जीवन में किसी भी ऊंचाई को छू नहीं सकते हैं। जो क्षण मेरे हाथ में है उसको मुझे पूरी ऊर्जा के साथ जीना है।

यह बात नीलबड़ ब्रह्माकुमारीज शांति भवन में माउंट आबू राजस्थान से आईं बीके उर्मिला दीदी ने कही। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व मुख्य प्रशासिका दादी जानकी हमेशा कहती थीं कि यदि सदा खुश रहना है तो सुबह उठते ही तीन गोलियां खाओ-धीरज, शांति और प्रेम। जिसके पास जो चीज होती है वह वही देता है। दूसरा व्यक्ति प्रेम नहीं दे पा रहा है, क्योंकि उसके पास प्रेम की गरीबी है। उसके प्रति करुणा की भावना रखना जरूरी है।

-धीरज रखकर जीवन में आगे बढ़े

शांति जीवन जीने की कला है, आत्मा की इम्युनिटी है। एक ग्लास पानी डालने से मटका नहीं भरेगा। 50 ग्लास डालने तक मुझे धीरज रखना है। धैर्य ही सफलता का आधार है। जितनी भीतर ऊर्जा होगी उतना जीवन आनंद से व्यतीत होगा। यदि बीच-बीच में हम अपने आप को इंद्रियों से डिटैच करना सीख जाएंगे तो हमारी भीतर की ऊर्जा बढ़ती जाएगी। ऊंचे ,शक्तिशाली एवं सकारात्मक विचारों से आत्मा की ऊर्जा बढ़ती है। एक डेड बाडी में ब्रेन होता है फिर भी वह सोचता क्यों नहीं? क्योंकि सोचने वाली शक्ति है मन। घर और स्कूल में भी मन इग्नोर हो गया। चेहरा निखरता गया। मन पर धूल चढ़ती गई। मन की तरफ हमने ध्यान नहीं दिया। व्यक्ति केवल लुक से सुंदर नहीं बनता, मेडिटेशन मन को सुंदर बनाता है, दिशा देता है, बातों को लेट गो करना सिखाता है। इस शरीर रूपी हार्डवेयर के भीतर में एक साफ्टवेयर हूं। एक आध्यात्मिक ऊर्जा हूं ‌। ज्ञान, पवित्रता, शांति यह आत्मा के इंग्रेडिएंट्स है। कर्म करते बार-बार यह रियलाइज करना है- मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं। इससे हमारे घर की एवं कार्यस्थल की ऊर्जा भी बढ़ती जाएगी। और जीवन हर पल उत्सव के समान बन जाएगा।

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