झाबुआ । अभी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में करीब छह माह का समय है लेकिन उसकी आहट अभी से ही सुनाई पड़ने लगी है। लगातार विधानसभा क्षेत्रों के दौरे किए जा रहे हैं। प्रत्याशी चयन के लिए रायशुमारी होने लगी है। अलग-अलग प्रभार सौंपा जा रहा है। कांग्रेस-भाजपा, एक-दूसरे से आगे निकलने का कोई मौका छोड़ने को तैयार नहीं है।
कांग्रेस संगठन तो भाजपा सुशासन पर
कांग्रेस संगठन तो भाजपा सुशासन के माध्यम से किला फतह करने में जोर लगा रही है। हालांकि, बूथ विस्तारक अभियान चलाते हुए भाजपा भी अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं के माध्यम से भाजपा आम जनता को लुभाने में लगी हुई है। हर पंचायत में योजनाओं के अधिक से अधिक फार्म भरे जा रहे हैं।
कांग्रेस की नारी सम्मान योजना
अब इसके मुकाबले के लिए कांग्रेस नौ मई से ‘नारी सम्मान योजना’ अपने संगठन के माध्यम से जमीन पर उतारने जा रही है। कहा जा रहा है कि सरकार बनने पर डेढ़ हजार रुपये हर महिला को मिलेंगे। इसके फार्म अभी से भरवाने की योजना बना ली गई है।
यह है स्थिति
– 3 विधानसभा क्षेत्र जिले में
– 2018 के चुनाव में 2-1 रहा
– 2 सीटे कांग्रेस ने जीती
– 1 सीट झाबुआ की भाजपा को मिली
नटराजन मिलेंगी सभी से
झाबुआ जिले की तीन दिवसीय दौरे पर पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन 10 मई को झाबुआ आ रही हैं। हर रोज वे एक विधानसभा क्षेत्र के बूथ स्तर के नेता व कार्यकर्ताओं से मिलेंगी। 10 मई को झाबुआ, 11 मई को थांदला व 12 मई को पेटलावद क्षेत्र में रूबरू होंगी। माना जा रहा है कि वे प्रत्याशी चयन के लिए रायशुमारी करेंगी। झाबुआ के एक निजी होटल में बूथ स्तर के नेता व कार्यकर्ताओं को बुलवाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस दौरान वन-टू-वन चर्चा भी की जा सकती है।
लगातार बैठकें हो रही
उधर, भाजपा में लगातार बैठकों के माध्यम से चुनावी योजना बनाई जा रही है। बूथ विस्तारक अभियान 2.0 पहले ही संचालित किया जा रहा है। 51 प्रतिशत वोट लाने के फार्मूला पर भी अमल किया जा रहा है। साथ ही सरकार के स्तर पर लगातार प्रशासन में कसावट लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी तारतम्य में पिछले दिनों झाबुआ कलेक्टर को सिर्फ सात माह के कार्यकाल में ही हटा दिया गया था। जनता को सुशासन मिलने का सतत भरोसा दिलवाया जा रहा है।
उपचुनाव में बदले समीकरण
2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट गुमान सिंह डामोर ने जीत ली, लेकिन 2019 में उन्हे जब सांसद का चुनाव लड़वाया गया तो वे लोकसभा में पहुंच गए। ऐसे में उन्हें विधायक का पद छोड़ना पड़ा। कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बन ही चुकी थी। 2019 के अंत में जब झाबुआ विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस ने अपनी सरकार के बल पर बाजी मार ली। इस तरह से जिले की तीनों विधानसभा सीटे कांग्रेस की हो गई।
ऐसा नजारा पहली बार
अभी तक जितने विधानसभा चुनाव हुए हैं, उनसे इस साल के अंत में होने वाले चुनाव एकदम अलग स्वरूप के होते दिखाई पड़ रहे हैं। वजह यह है कि पहली बार इतनी जल्दी तमाम कवायदें हो रही हैं। जो प्रक्रिया चुनाव के तीन माह पूर्व होती थी, वह प्रक्रिया छह माह पहले ही होती नजर आ रही है।
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