सौराष्ट्र-तमिल संगम से पुराने संबंध मजबूत बने-पटेल

सोमनाथ : गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा है कि तमिलनाडु और गुजरात के सदियों पुराने संबंध सौराष्ट्र-तमिल संगम से और भी मजबूत बने हैं।श्री पटेल ने बुधवार को यहां सौराष्ट्र-तमिल संगम के समापन समारोह में इसे एक ऐतिहासिक एवं गौरवपूर्ण अवसर करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तमिलनाडु और सौराष्ट्र-गुजरात के बीच सदियों पुराने संबंध उजागर होने के साथ-साथ ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय एकता भी चरितार्थ हुई है।

तमिलनाडु और गुजरात के बीच इन संबंधों को अब तक किसी ने उजागर नहीं किया था। परन्तु उन्होंने सौराष्ट्र से सदियों पहले पलायन कर तमिलनाडु में जाकर बसे और एक हजार से अधिक वर्ष बीतने के बावजूद गुजरात की संस्कृति एवं परंपरा को बरकरार रखते हुए दूध में चीनी की भांति घुल-मिल गए सौराष्ट्रियन तमिलवासियों को उनके पूर्वजों की भूमि में लाकर, गुजरात में स्वागत, सम्मान एवं आतिथ्य प्रदान कर दो राज्यों के बीच के सांस्कृतिक जुड़ाव को उजागर किया है जो भारत की एकता के लिए एक गौरवशाली अवसर है।

उन्होंने भारत वर्ष की प्राचीन सांस्कृतिक विरासतों की एकात्मता के हो रहे पुनरुद्धार के संदर्भ में कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी ने आध्यात्मिकता के सूत्र से भारत को जोड़ा। चाणक्य ने राजनीति में एकात्मता और सरदार वल्लभभाई पटेल ने आधुनिक भारत को भौगोलिक रूप से जोड़ने का महान काम किया और वर्तमान में श्री मोदी राज्यों के बीच की सांस्कृतिक एकता को उजागर कर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार कर रहे हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत के पूर्व और पश्चिम की संस्कृति को जोड़ने वाले माधवपुर के राष्ट्रीय मेले के आयोजन को भी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना की एक कड़ी बताया। उन्होंने कहा कि गुजरात का यह स्वभाव रहा है कि वह बाहर से आए शरण लेने वाले को सम्मान के साथ स्वीकार करता है। उन्होंने इतिहास में गुजरात में बसे लोगों के साथ भाईचारे का संदर्भ देते हुए कहा कि 1200 वर्ष पहले आक्रांताओं के हमले से अपनी संस्कृति को बचाने के लिए गुजरात से तमिलनाडु में जाकर बसे लोगों को तमिलनाडुवासियों ने अपना भाई मानकर शरण दी और सौराष्ट्र मूल के इन लोगों ने सदियों बाद भी गुजरात की कला, संस्कृति और रिवाज को बनाए रखकर गुजरात के जज्बे के दर्शन कराए हैं। तमिलनाडु और गुजरात के सदियों पुराने संबंध सौराष्ट्र-तमिल संगम से और भी मजबूत बने हैं।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि गुजरात सरकार द्वारा सौराष्ट्र- तमिल संगम के अतिथियों का आतिथ्य किया गया तथा सौराष्ट्रियन तमिलों ने गुजरात में सोमनाथ महादेव के दर्शन के अलावा गिर के शेरों को देखा और द्वारकाधीश एवं नागेश्वर के दर्शन के अतिरिक्त स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सहित गुजरात की सांस्कृतिक धरोहरों को भी देखा है।

झारखंड के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने ‘केम छो गुजरातियों’ यानी कैसे हैं आप लोग कहकर संबोधन की शुरुआत की और कहा कि जब कोई गुजराती पूछता है कि ‘केम छो’ तब हम कह सकते हैं कि मजे में हैं, क्योंकि हमारा नेतृत्व गुजरात के एक अडिग और मजबूत नेता नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से भारत निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उनके नेतृत्व में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है।

नागालैंड के राज्यपाल एल.ए. गणेशन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में तमिलनाडु में बसे सौराष्ट्र के लोगों से मुलाकात की थी। आज सौराष्ट्र-तमिल संगम के जरिए उन के मार्गदर्शन में उनकी भावनाएं उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र-तमिल संगम के माघ्यम से गुजरात और तमिलनाडु का सांस्कृतिक जुड़ाव और इन दोनों राज्यों के बीच के संबंध और भी मजबूत होंगे। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि सौराष्ट्रियन तमिल लोगों ने इस संगम के कारण गुजरात की यात्रा और गुजरात के स्थलों का दर्शन किया है।

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